आज की पीढ़ी में सेक्स को लेकर बहुत खुलापन आया है। सोशल मीडिया, इंटरनेट और संस्कृति की बदली सोच ने इसे आसान बना दिया है। लेकिन क्या ये सच में स्वतंत्रता है, या हम प्रेम से भाग रहे हैं?
1. सेक्स और आज़ादी का भ्रम
लोग सेक्स को सिर्फ शारीरिक ज़रूरत समझते हैं, भावनात्मक जुड़ाव को छोड़ देते हैं। इससे अस्थिरता बढ़ती है, रिश्ते टूटते हैं।
2. बचना या तलाशना?
कई बार सेक्स और मस्ती के पीछे लोग अपनी असुरक्षाओं से भागते हैं। असली प्रेम और गहराई की जगह, ये सिर्फ क्षणिक सुख बन जाता है।
3. Osho के विचार
Osho ने सेक्स को आध्यात्मिक ऊर्जा माना, जिसे सही समझकर जीवन में सकारात्मक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। पर उन्होंने मूर्खतापूर्ण इच्छाओं से बचने की सलाह दी।
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