Open Sex – भाग 5: Polyamory – आध्यात्मिक सत्य या सामाजिक विद्रोह?




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Open Sex – भाग 5: Polyamory – आध्यात्मिक सत्य या सामाजिक विद्रोह?

लेखक: Deepak Dobhal


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1. Polyamory: शब्द नहीं, पूरा दर्शन

Polyamory यानी एक साथ एक से अधिक लोगों से प्रेम करना — ईमानदारी, सहमति और संवेदनशीलता के साथ। इसमें न तो धोखा होता है, न ही छल। हर रिश्ता एक सच्चे संवाद पर टिका होता है।

लेकिन...

क्या यह प्रेम है या देह का विस्तार?

क्या यह स्वतंत्रता है या भावनात्मक उलझाव?



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2. समाज क्या कहता है?

भारतीय समाज हमेशा से एक पति – एक पत्नी के मॉडल को प्राथमिकता देता आया है। Polyamory इस ढाँचे को चुनौती देता है। ऐसे में इसे अक्सर:

चरित्रहीनता,

असंस्कारी व्यवहार,

या पश्चिमी विकृति माना जाता है।


लेकिन सच्चाई क्या है?


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3. आध्यात्मिक दृष्टिकोण – क्या Osho सही थे?

Osho ने बार-बार कहा:

> "Man is not monogamous by nature. Monogamy is a social imposition."



उन्होंने commune में ‘Free Love’ को बढ़ावा दिया। Osho का मानना था कि प्रेम एक बहता हुआ झरना है — वो कहीं रुकता नहीं।

Rishikesh और पुणे में मैंने खुद Osho के कई अनुयायियों को देखा, जो एक-दूसरे के साथ खुले दिल से, बिना किसी अधिकार भावना के जुड़ते थे।

वे कहते थे:

> “जब मैं अपने पार्टनर को किसी और के साथ खुश देखता हूँ, और फिर भी प्रेम बना रहता है — तो वो सच्चा प्रेम है।”




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4. मनोविज्ञान क्या कहता है?

Polyamory में सबसे कठिन हिस्सा है — ईर्ष्या (jealousy)।

क्या आप अपने प्रेमी को किसी और के साथ देख पाएंगे?

क्या आप खुद को ‘less than’ महसूस नहीं करेंगे?


Psychologists मानते हैं कि polyamorous संबंध केवल तभी टिकते हैं जब:

Emotional maturity हो

Boundaries clear हों

Communication honest हो


वरना यह chaos और heartbreak का कारण बन सकता है।


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5. क्या हमारे ग्रंथों में Polyamory था?

हां, लेकिन नाम अलग था:

राजाओं की अनेक रानियाँ होती थीं

महाभारत में द्रौपदी के पाँच पति थे

तंत्र में कई तरह के यौन अनुष्ठान स्वीकार्य थे

शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण जैसे संबंधों में भी open symbolic interpretations हैं


लेकिन एक बात समान थी — प्रेम में छल नहीं था।
हर रिश्ता एक ऊर्जा आदान-प्रदान था — यौन ही नहीं, आध्यात्मिक भी।


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6. मेरा अनुभव:

Osho Commune में एक विदेशी महिला से बातचीत हुई। वो अपने दो boyfriends के साथ थी — और दोनों को यह पता था। तीनों के बीच में transparency थी, jealousy नहीं।

वहीं एक भारतीय लड़का, जो पहली बार commune आया था, वो पूरी तरह उलझ गया — उसके अंदर भावनात्मक टूटन और असुरक्षा थी।

यानी Polyamory सबके लिए नहीं।
यह एक “ध्यान” है — हर पल आपको खुद को देखना होगा।


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7. क्या Polyamory प्रेम को बदल देता है?

नहीं।
Polyamory प्रेम को गहरा बना सकता है, अगर वह ego से मुक्त हो।

लेकिन…
अगर यह सिर्फ excitement, comparison और physical satisfaction के लिए है — तो यह एक आत्मिक गिरावट बन जाता है।


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निष्कर्ष:

Polyamory कोई trend नहीं, यह spiritual test है।
अगर तुम खुद को सच में जानते हो, अपने मन, जलन, अधिकार की भावना को पार कर चुके हो — तो यह तुम्हारे लिए एक ध्यान हो सकता है।

> "If you can love without owning, and connect without fear — you are ready to be divine."




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