Open Sex – भाग 4: Group Sex, Threesome, और बदलते संबंधों की भविष्यवाणी




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Open Sex – भाग 4: Group Sex, Threesome, और बदलते संबंधों की भविष्यवाणी

लेखक: Deepak Dobhal


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1. समय बदल रहा है, संबंध भी

इस डिजिटल और तेज़ दुनिया में अब लोग सिर्फ "एक" साथी तक सीमित नहीं रहना चाहते। नए तरह के संबंध उभर रहे हैं — जैसे:

Group Sex: जहाँ तीन या उससे अधिक लोग यौन संबंध में शामिल होते हैं।

Threesome: तीन लोगों के बीच सहमति से सेक्स।

Polyamory: एक समय में एक से अधिक रिश्तों को प्रेम के साथ निभाना — छल नहीं, बल्कि सहमति के साथ।


यह सब पहले taboo था। अब identity, freedom, और mutual honesty के नाम पर विकल्प बनता जा रहा है।


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2. क्यों बढ़ रहा है ये चलन?

कुछ मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण:

Monogamy (एक विवाह/संबंध) से थकावट, ऊब, और monotony

सोशल मीडिया और पोर्न से नई कल्पनाओं का निर्माण

"Experiment" के नाम पर नई अनुभूतियों की खोज

स्वतंत्रता की ग़लत व्याख्या: “हमारी मर्ज़ी, हमारा शरीर!”


लेकिन क्या ये सारी चीज़ें सच में “मुक्ति” की ओर ले जाती हैं?


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3. क्या ये सब नया है? इतिहास क्या कहता है?

नहीं! ये सब नया नहीं है। प्राचीन भारत, यूनान और रोम में group sex, sexual orgies और सामूहिक यज्ञ जैसी प्रक्रियाएं होती थीं — कभी तांत्रिक उद्देश्यों से, कभी सत्ता प्रदर्शन के लिए।

कामसूत्र में भी कुछ ऐसे उल्लेख हैं जहाँ कुछ समाजों में बहु-सहवास स्वीकार्य था।

ओशो आश्रम में मैंने खुद देखा कि कैसे कुछ लोग बिना कपड़ों के खुले में ध्यान करते थे — उनके लिए शरीर कोई शर्म की चीज़ नहीं, बल्कि "मंदिर" था।


> "If you can love many, you become oceanic; your love is no more limited." — Osho




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4. मनोविज्ञान की दृष्टि से – क्या सही, क्या भ्रम?

Group sex और threesome को लेकर कुछ भ्रम और मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

कुछ लोग इसे curiosity और fantasy के रूप में करते हैं, लेकिन बाद में guilt या confusion में पड़ जाते हैं।

कुछ लोग emotional attachment को संभाल नहीं पाते, जिससे रिश्ते बिगड़ जाते हैं।

Jealousy, insecurity, और comparison जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।


> Sex एक act है, लेकिन उस act में तुम्हारा मन, ह्रदय, और चेतना कहाँ खड़ा है — यही फर्क लाता है।




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5. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से — क्या ये संभव है?

तंत्र कहता है:

जब तक तुम अपने अंदर के स्वार्थ, वासना और असुरक्षा से मुक्त नहीं हो, तब तक कोई भी यौन प्रयोग केवल देह का उपभोग है।

लेकिन जब तुम चेतना से भरे हो, तब हर संबंध एक ध्यान हो सकता है।


> "Love is not about possession. It is about appreciation. If your partner finds joy, even with others — can you still smile?" — Osho




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6. मेरा अनुभव:

Rishikesh में कुछ विदेशी साधकों को देखा — जो openly polyamorous थे, लेकिन उनमें transparency और emotional maturity थी। वहीं पुणे के Osho Commune में nudity, sharing, और freedom का एक अलग ही रंग देखा।

शुरुआत में यह सब बहुत आकर्षक लगता है, लेकिन धीरे-धीरे समझ में आता है कि:

Freedom एक ज़िम्मेदारी है।

Experiment एक जोखिम भी है।

हर चीज़ का एक मानसिक मूल्य होता है।



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7. अंत में कुछ जरूरी सवाल

क्या तुम sex को मुक्त प्रेम मानते हो या सिर्फ उत्तेजना की खुराक?

क्या तुम emotionally इतना mature हो कि jealousy को पचा सको?

क्या तुम्हारे संबंधों में truth और trust है?



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निष्कर्ष:

Group sex, threesome, polyamory जैसे विषय न तो पूरी तरह गलत हैं, न ही पूरी तरह सही।
इनमें चेतना, सहमति, ईमानदारी और संवेदनशीलता चाहिए।
नहीं तो ये सब भटकाव बन जाते हैं, मुक्तिवाद नहीं।




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