इस अँधेरे के पीछे कहीं एक उजाला छुपा है
उस उजाले मे छुपी है एक किरण
उस किरण मे है एक रौशनी
वो रौशनी जो जगमगाए इस अँधियारे मे
जहाँ है मुर्दो की बस्ती
बस्ती मे है जिन्दा लाशें
उस उजाले मे छुपी है एक किरण
उस किरण मे है एक रौशनी
वो रौशनी जो जगमगाए इस अँधियारे मे
जहाँ है मुर्दो की बस्ती
बस्ती मे है जिन्दा लाशें
जो लड़ रही है सिर्फ जीने के लिए
पर उसे फिर भी जीना नहीं आता
बाहर से कोई कितना भी
अपने आप को जिन्दा दिखाए
पर उसे फिर भी जीना नहीं आता
बाहर से कोई कितना भी
अपने आप को जिन्दा दिखाए
मगर अंदर से तो पूरा मरा है
मरा है अज्ञानता से
मरा है जरूरत से
सपनो को मारकर भी जो
मरा है अज्ञानता से
मरा है जरूरत से
सपनो को मारकर भी जो
सोचते हैँ की वो सपने पूरे कर रहे हैँ
वो अँधेरे मे जी रहे हैँ.
#दीपक डोभााल.
वो अँधेरे मे जी रहे हैँ.
#दीपक डोभााल.
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