Open Sex Series – Part 18



"Fetishism – जब ख्वाहिशें आम नहीं होतीं"

> "इंसानी कामनाएं सीधी-सादी नहीं होतीं—
वो अजीब रास्तों से गुज़रती हैं,
किसी के जूतों में, किसी के बालों में,
किसी की चुप्पी में भी छिपा हो सकता है यौन आकर्षण।"




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Fetishism क्या है?

Fetishism एक ऐसी मानसिक-यौन प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति किसी वस्तु, शारीरिक अंग, या किसी विशिष्ट स्थिति से यौन आकर्षण महसूस करता है, जो आमतौर पर यौन नहीं माने जाते।

उदाहरण के लिए:

किसी को सिर्फ पैर (Feet) देखकर उत्तेजना होती है।

किसी को चमड़े की चीज़ें (Leather, Latex) पहनकर sex करना पसंद है।

किसी को partner को बाँधना (Bondage), रोलप्ले या कंट्रोल करना उत्तेजित करता है।


ये इच्छाएं न तो पागलपन हैं, न बीमारी—
ये बस इंसान की कामना की जटिलताओं का हिस्सा हैं।


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मेरा अनुभव – पुणे के एक क्लास में

मैंने पुणे के एक Tantra-workshop में हिस्सा लिया था, जहाँ लोग अपने भीतर की suppressed इच्छाओं को खुलकर explore कर रहे थे।

वहाँ एक व्यक्ति था— नाम था विवेक।
उसने स्वीकार किया कि उसे सिर्फ तब यौन सुख मिलता है जब कोई उसे जूते पहनकर डाँटे, या उस पर हावी हो।

सुनने में अजीब लगता है?
मगर वो उस वक्त सबसे ईमानदार इंसान लग रहा था।

उसकी आँखों में कोई शर्म नहीं थी,
बस एक राहत —
कि उसने अपनी परतों को उतार फेंका था।


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Fetish के प्रकार:

1. Foot Fetish:
पैरों से यौन आकर्षण


2. Domination/Submissive:
किसी का हुक्म मानना या दूसरों पर हावी होना


3. Roleplay Fetish:
Teacher-student, Doctor-patient जैसे रोलप्ले से उत्तेजना


4. Latex/Leather Fetish:
खास कपड़ों से उत्तेजना


5. Object Fetish:
किसी वस्तु से sexual जुड़ाव (जैसे gloves, socks, etc.)


6. Pain Fetish (Masochism):
दर्द से यौन सुख पाना




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Fetish क्यूँ होते हैं? (Psychology + Science)

Fetish एक तरह का conditioning होता है—
हमारा दिमाग किसी object या स्थिति को यौन सुख से जोड़ देता है।

बचपन या किशोरावस्था में किसी विशिष्ट वस्तु या स्थिति के साथ जब पहली बार यौन उत्तेजना जुड़ी हो—
तो वही चीज़ बार-बार दिमाग में sex से associate होने लगती है।

कुछ वैज्ञानिक इसे brain wiring मानते हैं—
जैसे dopamine release एक unusual trigger से जुड़ जाए।


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Osho का दृष्टिकोण

> "Sexual fantasies repress नहीं करनी चाहिए,
उन्हें समझो, स्वीकारो—
क्योंकि repression से बीमारी पैदा होती है,
और स्वीकृति से ध्यान।"



ओशो ने Fetish को कभी condemn नहीं किया।
बल्कि उन्हें एक inner journey का हिस्सा माना।

उनका मानना था—

> "जो तुम्हारे भीतर छिपा है, उसे रोको मत,
क्योंकि वही repression एक दिन विस्फोट बनेगा।"




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क्या Fetish हमारे पुराने ग्रंथों में भी मिलते हैं?

कामसूत्र में कई ऐसी प्रवृत्तियों का वर्णन है—
जैसे अलग-अलग dress codes, रोलप्ले, प्रेम में प्रतीक्षा का नाटक आदि।

यहां तक कि कंदर्प शास्त्रों में ऐसे अभ्यास भी हैं जहाँ
स्त्री के बालों, उसकी चाल, कपड़ों तक से यौन आकर्षण की बात की गई है।

यानि हमारी संस्कृति ने भी desires को suppress नहीं किया—
उन्हें सौंदर्य और अनुभव के रूप में देखा।


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Fetish – सही या ग़लत?

कोई भी sexual inclination जब तक consensual हो और किसी को हानि न पहुँचा रहा हो,
वह गलत नहीं है।

Fetish तब गड़बड़ होता है जब वो आपकी या दूसरों की आज़ादी, स्वाभाविकता या मनोदशा को नुकसान पहुँचाने लगे।


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एक असली कहानी – "जया और रवि"

मैं एक बार एक कपल से मिला जो मेरी ब्लॉग सीरीज़ पढ़ते थे।
जया ने कहा:

> “रवि को सिर्फ तब arousal होता है जब मैं nurse का रोल निभाती हूं। पहले मुझे गुस्सा आता था। पर जब मैंने उसे समझा, तो पाया— कि उसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। ये बस उसका तरीका है अपने pleasure को पाने का।”



अब वो दोनों हर महीने एक नया रोलप्ले ट्राय करते हैं,
और उनका रिश्ता पहले से ज़्यादा खुला और मज़बूत हो गया है।


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अंत में...

कामना की दुनिया सीधी नहीं होती—
वो टेढ़े रास्तों से होती हुई
कभी जूतों, कभी धड़कनों,
कभी चुप्पियों में आकार लेती है।

Fetish कोई अपराध नहीं—
बल्कि आपकी sexual यात्रा की एक परछाईं है,
जिसे अपनाया जाए तो चेतना का दरवाज़ा खुल सकता है।


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