स्वयं



जैसे ही मैंने खुद को चुना,
दुनिया ने भी मेरी ओर रुख किया।
जो दरवाज़े बंद थे, खुलने लगे,
जो रास्ते धुंधले थे, साफ़ दिखने लगे।

मैंने सोचा था, मुझे दूसरों को मनाना होगा,
पर सच तो यह था—
मुझे बस खुद को अपनाना था,
अपने होने को पूरी तरह स्वीकारना था।

जब मैंने अपनी राह चुनी,
हर कदम मेरा साथ देने लगा,
जैसे ब्रह्माण्ड ने मेरी प्रतिज्ञा सुन ली,
और कह दिया— "अब यह भी तेरा है।"

अब जो आए, वो मेरे रंग में घुल जाए,
जो रहे, वो मेरे सत्य को पहचान ले,
क्योंकि जब मैंने खुद को अपनाया,
पूरी सृष्टि ने मुझे अपना लिया।


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