त्याग और तपस्या से करियर की राह बनाई,
मेहनत की हर कदम पर, पर मंज़िल नहीं पाई।
उम्मीदें थीं आसमान की, पर ज़मीं ही रह गई,
शायद मेरी मेहनत ने सही दिशा नहीं पाई।
कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...
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