हौंसलों के चराग जलते रहे।

त्याग तपस्या में जो हमने दिन-रात एक किए,
ख्वाबों की चादर में अरमान बुनते रहे।

पर किस्मत की ठिठोली देखिए, न मिली वो मंजिल,
फिर भी हौंसलों के चराग जलते रहे।

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