ख्वाबों की चादर में अरमान बुनते रहे।
पर किस्मत की ठिठोली देखिए, न मिली वो मंजिल,
फिर भी हौंसलों के चराग जलते रहे।
अखंड है, अचल है, अजेय वही, जिसे न झुका सके कोई शक्ति कभी। माया की मोहिनी भी हारती है, वेदों की सीमा वहाँ रुक जाती है। जो अनादि है, अनंत है, ...
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