"क्या एकतरफा आकर्षण भी एक प्रकार का प्रेम है?"
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क्या एकतरफा प्यार भी प्यार है?
ये सवाल बहुत बार मन में उठता है — जब हम किसी को चाहते हैं, लेकिन वो हमारी भावना को न समझ पाए, या जानकर भी स्वीकार न करे। तो क्या ये प्रेम है? या सिर्फ आकर्षण? या कोई भ्रम?
मैंने ये खुद महसूस किया है…
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मेरी कहानी से शुरू करते हैं:
ये बात तब की है जब मैं पहली बार माया (बदला हुआ नाम) से मिला। वो मेरी ज़िंदगी में बस एक मुलाक़ात बनकर आई थी, पर मेरे दिल में तूफ़ान छोड़ गई। उसका मुस्कराना, उसकी बात करने का तरीका, और सबसे बढ़कर उसका सहज रहना — मेरे अंदर कुछ ऐसा जगा गया जिसे मैं रोक नहीं पाया।
मैंने उससे न तो प्यार का इज़हार किया और न कभी ज़्यादा क़रीब गया। फिर भी… हर रोज़ उसके बारे में सोचता रहा। सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें देखना, उसकी आवाज़ को याद करना… ये सब मेरे रोज़ के भाव बन गए थे।
कभी-कभी लगता — क्या मैं बेवकूफ़ हूं? वो तो कुछ जानती भी नहीं। फिर कभी सोचता — नहीं, ये भी तो प्यार ही है, भले ही जवाब न मिले।
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आख़िर एकतरफा प्रेम क्या है?
1. प्यार या केवल कल्पना?
एकतरफा प्यार में हम उस इंसान की कल्पना से जुड़ जाते हैं। हम उन्हें वैसे देखना चाहते हैं जैसे हमारा मन चाहता है — कई बार वो असलियत नहीं होती।
2. प्यार में देने की भावना:
अगर आपकी भावना में स्वार्थ नहीं है, आप सिर्फ उन्हें खुश देखना चाहते हैं, बिना किसी प्रत्याशा के — तो यह प्रेम ही है।
3. व्याकुलता और वेदना:
हाँ, इसमें दर्द है। जब सामने वाला अनजान हो या आपकी भावनाओं को नकार दे, तो पीड़ा गहरी होती है। पर यही पीड़ा हमें आत्मिक बनाती है।
4. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से:
एकतरफा प्रेम भी आत्मा की एक यात्रा है। ओशो कहते हैं — "Love is not about the other, it’s about you."
जब हम प्यार में पड़ते हैं, हम असल में अपने भीतर छिपे भावों से टकरा रहे होते हैं।
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क्या यह भी सेक्सुअल हो सकता है?
हाँ। आकर्षण सिर्फ भावनात्मक नहीं होता। कभी-कभी हम शारीरिक रूप से भी उस इंसान से जुड़ाव महसूस करते हैं। ये ज़रूरी नहीं कि हमने उन्हें छुआ हो — कल्पना, सपने, और इच्छाएँ भी शरीर को प्रतिक्रिया देती हैं।
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कहानी का अंत…
माया आज भी मेरी ज़िंदगी में नहीं है। शायद कभी नहीं थी। पर वो अनुभव, वो भावना… वो मेरे लेखन, मेरी कल्पना और मेरी आत्मा का हिस्सा बन गई।
मैंने सीखा — एकतरफा प्यार अधूरा ज़रूर होता है, लेकिन झूठा नहीं। ये भी प्रेम है। बस उसकी परछाई में।
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आपने भी कभी किसी को इस तरह चाहा है क्या?
अगर हाँ, तो आपने भी जाना है — "प्यार पाने से पहले देना होता है… कभी कभी सिर्फ महसूस करना ही काफ़ी होता है।"
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