बरसात की बूंदें, अमृत-सी मीठी,
कभी वो आशीर्वाद, कभी वो विपत्ति।
पहाड़ों पे बर्फ़, आसमान से गिरती,
हरी-भरी वादियाँ, मानो स्वर्ग उतरती।
सागर के किनारे, लहरों के संग नृत्य,
अल्हड़ हवा के संग, ये प्रेम का काव्य।
कभी बनती है ये, खेतों की रक्षक,
कभी बन जाती है, बाढ़ की जलधारा।
मस्त मलंग मन, भीगता रोमांस में,
आशाओं की बौछार, सपनों की बंसी।
बरसात के ये रंग, कितने अनोखे,
कभी मीठी मिठास, कभी प्रकृति का कोप।
कभी प्रेम की रात, कभी डर की रात,
फिर भी प्यारी लगे, ये बारिश की सौगात।
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