चाँदनी भी ने किया गहरा सवेरा।
धूप में जलती है मन की प्यास,
बरसात में बहती है आँसू की नदी।
यादें जलती हैं सूरज की तपिश में,
कभी दर्द की चादर में, कभी तन्हाई की रात में।
सूरज यारा, तू गम का हारा,
मुझे तो जाना ही होगा, इस राह पर अकेला तेरा।
कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...
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