आघात ने मेरे दिमाग को गहरे से बदल दिया,
यह केवल एक घाव नहीं, बल्कि एक नया आकार है,
जो सोचने का तरीका, प्रतिक्रिया देने का तरीका—
सब कुछ नए सिरे से लिखने की ज़रूरत होती है।
यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जिसे मैं रातोंरात छोड़ दूँ,
यह वो गहरी छाया है, जो हमेशा साथ रहती है।
चंगाई का मतलब भूल जाना नहीं,
यह समझना है, महसूस करना है, और साथ जीना है।
हर दिन एक नया संघर्ष है,
आघात की गहरी धारा से निकलने की कोशिश,
यह कोई आसान रास्ता नहीं है,
यह उस दर्द को अपने भीतर स्वीकार करने की प्रक्रिया है।
मैं जानता हूँ, यह सिर्फ़ आगे बढ़ने का सवाल नहीं,
यह उस दर्द को समझने, उसे आत्मसात करने और
उससे नहीं डरने की कोशिश है।
यह नहीं कि आघात को हरा दिया,
बल्कि उसे अपने अस्तित्व का हिस्सा बना लिया है।
तो मैं कहता हूँ,
चंगाई का मतलब केवल छोड़ देना नहीं,
यह उस दर्द को बिना नियंत्रण के साथ जीना है,
इसमें समय लगता है, समझने का समय,
तभी हम उसे अपनी ताकत बना सकते हैं।
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