घर की चादर और बाहर की धूप,
दोनों में छुपा है जीने का रूप।
घर में है सुख, प्यार और आराम,
बाहर की धूप में है सपनों का संगम।
घर से बाहर निकलते हैं हम,
पर घर की यादें हमें लौटाती हैं कम।
जीने की है दुनिया, यही सच है,
घर में भी खुशी, बाहर में भी राहत है।
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