पर फिर एक दिन, सूरज ने मुस्कान भेजी,

सूरज की किरणों में छिपी,
खुशियों की बातें सुनाते सपने।
पर जब आँधियाँ आईं, छाया छा गया,
दिल को लगा ग़म का सागर लहराए।

चलना पड़ा मुझे उस जंजीर में,
जिसमें हर क़दम पर था दर्द छुपा।
मजबूती से जूझते हुए,
खुद को ढूँढ़ता रहा एक रास्ता।

पर फिर एक दिन, सूरज ने मुस्कान भेजी,
अब ग़म की रातें भी हो गईं अनजान।
जीवन की चाहत ने सिखाया,
कि अंधकार से ही नहीं, 
रोशनी से भी सफ़र होता है।

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