गम की लहरों में डूब कर नहीं,

गम की लहरों में डूब कर नहीं,
गम के साथ खेलकर मुस्कान में जीना सीखा है।
जीवन की राहों में फिर से चल पड़े,
नई सुबह की किरणों में खुद को पाना सीखा है।
राहों में मैंने अपना सफ़र जारी किया,
मुसाफिर हूं, ज़िन्दगी के गीतों को गुनगुनाना सीखा है।
उठना, जाना, उड़ान भरना चाहता हूं,
क्योंकि जीने का मतलब, सपनों को पूरा करना सीखा है।

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