प्रेम की अनकही भाषा



क्या तुम समझते हो,
फूलों की मस्ती में छिपी बातें?
क्या तुम सुनते हो,
मेरी आत्मा की पुकार,
तेरे प्यार की अद्भुत चाहत में?

मेरी आँखों में बसी है,
तेरे ख्वाबों की चमक,
हर एक लम्हा,
हर एक याद में,
तेरे बिना ये दिल है चुप।

हमारी आवाज़ें भले ही,
सुनने वालों के लिए हैं अलग,
लेकिन दिल की गहराइयों में,
हमें समझने वाला कोई तो है।
हमारा प्रेम एक ख़ास लय में,
हर धड़कन में गूंजता है।

दिल की भाषा को समझो,
यह शब्दों से नहीं,
अनुभवों से बनती है।
तेरी हंसी में बसी है,
मेरी हर खुशी की कहानी,
तेरे पास रहकर,
सारी दुनिया से दूर मैं जाऊं।

हमारे बीच की ख़ामोशी,
कभी ना टूटेगी,
क्योंकि ये प्रेम की भाषा,
हर ख़ुशी और ग़म में है शामिल।
सिर्फ हम ही जानते हैं,
इस दिल की गहराइयों में,
कैसे होती है सच्ची प्रेम की गूंज,
जिसका कोई नाम नहीं।


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तेरी तलाश में





चेहरा उदास है, आँखों में ये किस की प्यास है,
कहता है मेरा दिल, मुझे तेरी तलाश है।
तेरी सूरत न देखूं तो, कोई दिखता ही नहीं,
खामोश हम हैं, क्या करें, कोई अच्छा लगता ही नहीं।

तेरी यादों में खोया, हर लम्हा मेरा है सजा,
तेरे बिना ये दिल मेरा, बस है एक अजनबी सा।
तेरे बिना जीना, जैसे सूखी रेत का बगिया,
तेरी महक से ही सजता, ये दिल का मस्तिया।

तेरे साथ की चाहत में, खो जाते हैं हम कहीं,
तेरी हंसी में छिपा है, हर ख्वाब मेरा जिंदा कहीं।
तेरे बिना हर सुबह, जैसे शाम का इंतज़ार,
तेरे साथ की तलाश में, चलते हैं बस बेकार।

तू जो मिले तो, हर ग़म भुला दूँ,
तेरे साथ में जो है, वो सुकून पा लूँ।
तेरे बिना ये दिल मेरा, है एक वीरान बाग,
तेरी सूरत न देखूं तो, कोई दिखता ही नहीं।


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