धुप में जलता है सूरज, साया नहीं पाता,

धुप में जलता है सूरज, साया नहीं पाता,
जीवन के संग्रह में, दर्द का अध्याय होता।

सफ़र का हर क़दम, जिंदगी की राह ले जाता है,
गम की गहराइयों में, अज्ञाता का सवाल बन जाता है।

संघर्ष की धूप में, हौसला बुलंद होता है,
सन्नाटे की रात में, आशा का दीप जलता है।

सूरज की किरणें, रोशनी का संदेश लेकर आती हैं,
गहरे अंधकार में, उम्मीद का सागर छाता है।

गम का हारा सूरज, जीवन का संग्रह होता है,
जिंदगी की कविता में, हर रंग का अर्थ छुपा होता है।

जीवन के संग्रह में, दर्द का अध्याय होता।

धुप में जलता है सूरज, साया नहीं पाता,
जीवन के संग्रह में, दर्द का अध्याय होता।

सफ़र का हर क़दम, जिंदगी की राह ले जाता है,
गम की गहराइयों में, अज्ञाता का सवाल बन जाता है।

संघर्ष की धूप में, हौसला बुलंद होता है,
सन्नाटे की रात में, आशा का दीप जलता है।

सूरज की किरणें, रोशनी का संदेश लेकर आती हैं,
गहरे अंधकार में, उम्मीद का सागर छाता है।

गम का हारा सूरज, जीवन का संग्रह होता है,
जिंदगी की कविता में, हर रंग का अर्थ छुपा होता है।

अंधियारों में भी जलता रहे ये दीप।

सूरज की किरणों में छिपी,
गम की धुप में ढला है सफ़र।
मन की गहराईयों में छुपी,
उम्मीद की किरणें जगा हैं इस सफ़र में।

हर कदम पर है राह का साथी,
अंधियारों में भी जलता रहे ये दीप।
गम के साए में भी मिलता है सुख,
संग है जिंदगी का हर अधीप।

गुज़र जाएगा ये गम का बादल,
हार नहीं, विजय की लहर होगा।
सूरज के पर्वतों को चूमेगा,
गम का हारा तो जाना ही होगा।

वेदों में शिव

भगवान शिव, भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख देवता हैं और उनकी महत्ता और महिमा अत्यधिक है। वे त्रिमूर्ति के एक प्रमुख स्वरूप हैं, जो सृष्टि, स्थिति और संहार का प्रतीक हैं। भगवान शिव को महादेव, नीलकंठ, भैरव, त्रिशूलधारी, नटराज, रुद्र, आदि नामों से भी जाना जाता है। 

ऋग्वेद में, भगवान शिव को रुद्र के रूप में उपलब्ध किया गया है, जो एक शक्तिशाली और दयालु देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ऋग्वेद में ऋद्र को शिकार और पशुओं के संरक्षक के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें धनुष, तीर, और बवंडर के साथ जोड़ा गया है, जो उनकी शक्ति और दुष्टता को नष्ट करने की क्षमता को प्रतिनिधित करता है। 
भगवान शिव के बारे में एक विशेष श्लोक जो ऋग्वेद में प्रदर्शित होता है, वह है:

"कैलासशिखरे रम्ये शंकरस्य शुभे गृहे ।
देवतास्तत्र मोदन्ति तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु ॥"

अर्थात, "कैलास पर्वत के चारों ओर श्री शंकर के अत्यंत मनोहार घर हैं, वहाँ सभी देवताओं का आनंद होता है। मेरे मन में हमेशा भगवान शिव के संकल्प हों।"

यह श्लोक भगवान शिव के गौरव और महत्त्व को बखूबी व्यक्त करता है और उनकी महिमा की महत्ता को दर्शाता है। इसके साथ ही, यह श्लोक हमें भगवान शिव के ध्यान में लगाने और उनकी कृपा को प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।

यजुर्वेद में, भगवान शिव को अज्ञान और अधर्म को नष्ट करने की क्षमता वाला देवता के रूप में वर्णित किया गया है। उन्हें उपजाऊता और लम्बी आयु और समृद्धि प्रदान करने वाले देवता के रूप में भी वर्णित किया गया है। 

अथर्ववेद में, शिव को औषधि और चिकित्सा के देवता के रूप में वर्णित किया गया है, जो शारीरिक और मानसिक रोगों का इलाज कर सकता है। इस वेद में उनकी पूजा का महत्व और उनके पूजन से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों का भी वर्णन है। 

भगवान शिव को एक ही अत्मा में सभी जीवों में एकता का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा से हम अपने अंतरात्मा को पहचान सकते हैं। उनके भक्तों के लिए, भगवान शिव के भगवान बनाने का महत्व अत्यंत उच्च होता है और वे उनकी पूजा के द्वारा अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त क

सूरज के पर्वतों को चूमेगा,गम का हारा तो जाना ही होगा

सूरज की किरणों में छिपी,
गम की धुप में ढला है सफ़र।
मन की गहराईयों में छुपी,
उम्मीद की किरणें जगा हैं इस सफ़र में।

हर कदम पर है राह का साथी,
अंधियारों में भी जलता रहे ये दीप।
गम के साए में भी मिलता है सुख,
संग है जिंदगी का हर अधीप।

गुज़र जाएगा ये गम का बादल,
हार नहीं, विजय की लहर होगा।
सूरज के पर्वतों को चूमेगा,
गम का हारा तो जाना ही होगा।

छोड़ दो अपनी हर चिंगारी,

सूरज की किरणों में ढल कर,
गम की राहों में चल कर।
मन की आंधी से लड़कर,
नई राहें खोजना ही होगा।

छोड़ दो अपनी हर चिंगारी,
नए सपनों की धुंध में जाना ही होगा।
जीवन की राहों में खो जाना,
फिर से अपने आप को पाना ही होगा।

गहरी रातों में हो जो अकेलापन,
खुद को खोजना ही होगा।
धूप के तेवरों से जूझते हुए,
नए सवेरे की तलाश में जाना ही होगा।

गम का हारा यारा, इस यात्रा में साथ नहीं,
मगर खुद को ढूँढना ही होगा।
जीवन की कठिनाईयों से लड़कर,
नई उड़ानों को पाना ही होगा।

सूरज की किरणों में छुपी,गहरी रातों की धुप में,

सूरज की किरणों में छुपी,
गहरी रातों की धुप में,
खोया हूँ खुद को खोकर,
समझाना ही होगा मुझे गम का हारा रहकर।

सफर में मिलते हैं अनजान राही,
कभी धूप में, कभी छाँव में खोजते हैं जवाबी,
पर जिस राह में मिले साथी हमारे,
उसी राह में जाना ही होगा, गम का हारा हमें परिपूर्ण बनाकर।

चलते हैं आगे, छोड़ते हैं पीछे,
बिखरे हैं सपने, पिघले हैं आशे,
पर जिस सपने के साथ चलें,
उसे पूरा करना ही होगा, गम का हारा साथ बनाकर।

सूरज की किरणों में छुपी,
गहरी रातों की धुप में,
खोया हूँ खुद को खोकर,
समझाना ही होगा मुझे गम का हारा रहकर।

गहरी रातों की धुप में,

सूरज की किरणों में छुपी,
गहरी रातों की धुप में,
खोया हूँ खुद को खोकर,
समझाना ही होगा मुझे गम का हारा रहकर।

सफर में मिलते हैं अनजान राही,
कभी धूप में, कभी छाँव में खोजते हैं जवाबी,
पर जिस राह में मिले साथी हमारे,
उसी राह में जाना ही होगा, गम का हारा हमें परिपूर्ण बनाकर।

चलते हैं आगे, छोड़ते हैं पीछे,
बिखरे हैं सपने, पिघले हैं आशे,
पर जिस सपने के साथ चलें,
उसे पूरा करना ही होगा, गम का हारा साथ बनाकर।

सूरज की किरणों में छुपी,
गहरी रातों की धुप में,
खोया हूँ खुद को खोकर,
समझाना ही होगा मुझे गम का हारा रहकर।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...