छोड़ दो अपनी हर चिंगारी,

सूरज की किरणों में ढल कर,
गम की राहों में चल कर।
मन की आंधी से लड़कर,
नई राहें खोजना ही होगा।

छोड़ दो अपनी हर चिंगारी,
नए सपनों की धुंध में जाना ही होगा।
जीवन की राहों में खो जाना,
फिर से अपने आप को पाना ही होगा।

गहरी रातों में हो जो अकेलापन,
खुद को खोजना ही होगा।
धूप के तेवरों से जूझते हुए,
नए सवेरे की तलाश में जाना ही होगा।

गम का हारा यारा, इस यात्रा में साथ नहीं,
मगर खुद को ढूँढना ही होगा।
जीवन की कठिनाईयों से लड़कर,
नई उड़ानों को पाना ही होगा।

No comments:

Post a Comment

thanks

कृत्रिम मेधा

  कृत्रिम मेधा मन के दर्पण की छवि बनाए, मशीनों को जीवन का रंग दिखाए। कभी आँकड़ों की गहराई में उतरे, कभी भविष्य की संभावनाओं को पकड़े। स...