नींद की मृदु चादर में लिपटा सवेरा

नींद की मृदु चादर में लिपटा सवेरा,
पर नयन मेरे जागे, अधूरा सपना घेरा।
सितारों की स्याह चादर, चाँदनी की रोशनी,
नींद न आई फिर भी, दिल में बसी तन्हाई।

रात का सन्नाटा, पत्तों की सरसराहट,
ख्वाबों की दुनिया में, कोई न था साथ।
पलकों की चुप्पी, मन का शोर,
अधूरी चाहतें, दिल की न कोई डोर।

नींद का न आना, जैसे एक अनबुझी प्यास,
हर पल बीतता, पर न कम होती आस।
तारों की बातें, चाँद का मुस्काना,
पर न आया वो सुकून, जो नींद में है बसा।

उजाला हुआ, पर आँखें थकी,
रात की वो चुप्पी, दिल में कहीं बसी।
सपनों का सूना पिटारा, अधूरी ख्वाहिशों का बोझ,
नींद न आई, और दिल ने महसूस किया रोज।

This Moment Will Pass

### Poetry in English

**This Moment Will Pass**

This moment will pass, like a fleeting breeze,
And then there will be another, with its own ease.
We chase the next, a relentless race,
Trying to fix problems, to find our place.

But pause, my friend, in this mad endeavor,
Take time to just exist, now and forever.
Breathe in the present, feel its embrace,
Appreciate yourself, find your grace.

In the stillness, find peace, let worries cease,
In this very moment, let your soul release.
For life is not just a series of tasks,
But moments to cherish, in love's gentle bask.


हनुमान चालीसा में ब्रह्मांडीय ज्ञान: सूर्य और पृथ्वी की दूरी का रहस्य, दिव्य वर्ष और प्राचीन भारतीय समय माप की अद्भुत गणना

  
हनुमान चालीसा, तुलसीदास द्वारा रचित, भारतीय संस्कृति में भक्ति, शक्ति और ज्ञान का अनुपम स्रोत मानी जाती है। इसमें न केवल हनुमान जी की महिमा का गुणगान है, बल्कि इसमें ब्रह्मांडीय गणना और प्राचीन समय माप के रहस्यों को भी सूक्ष्म रूप में प्रस्तुत किया गया है। हनुमान चालीसा के एक प्रसिद्ध दोहे में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का उल्लेख मिलता है, जो हजारों साल पहले के वैज्ञानिक ज्ञान की सूक्ष्मता को दर्शाता है। इस लेख में हम हनुमान चालीसा के इस दोहे, दिव्य वर्ष की अवधारणा, युगों की गणना और प्राचीन भारतीय समय माप का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे।

          हनुमान चालीसा का विशेष दोहा और ब्रह्मांडीय दूरी का रहस्य

हनुमान चालीसा का यह विशेष दोहा है:

   जुग सहस्त्र योजन पर भानू।  
 लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।   

इसका अर्थ यह है कि हनुमान जी ने सूर्य को एक मीठा फल मानकर निगल लिया था। इस दोहे में "जुग," "सहस्त्र," और "योजन" जैसे शब्दों का उपयोग किया गया है, जो प्राचीन भारतीय माप इकाइयों का संकेत देते हैं। इन शब्दों के आधार पर सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को गणितीय तरीके से समझा जा सकता है।

          दोहे के शब्दों का अर्थ और उनका गणितीय महत्व

इस दोहे के हर शब्द का विश्लेषण करते हैं:

1. जुग (युग) : यहाँ युग का मतलब 12,000 वर्ष से है।
2. सहस्त्र : इसका अर्थ 1,000 है।
3. योजन : यह प्राचीन भारतीय दूरी माप की इकाई है, जो लगभग 8 मील के बराबर मानी जाती है।
   
इस दोहे के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को निम्नलिखित तरीके से मापा जा सकता है:

गणना प्रक्रिया
अब हम इन शब्दों के आधार पर सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी की गणना करते हैं:
दोहे में वर्णित दूरी को समझने के लिए इन तीन शब्दों को एक सूत्र की तरह प्रयोग करते हैं:
युग×सहस्त्र×योजन=सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी युग \times सहस्त्र \times योजन = सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरीयुग×सहस्त्र×योजन=सूर्यऔर पृथ्वी के बीच की दूरी


[ 12,000 \times 1,000 \times 8 = 96,000,000 \text{ मील} ]

अब इस माप को किलोमीटर में परिवर्तित करने के लिए इसे 1.6 से गुणा करते हैं:

[96,000,000 \times 1.6 = 153,600,000 \text{ किलोमीटर} ]

आधुनिक खगोलशास्त्र के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी लगभग 149.6 मिलियन किलोमीटर है, जो तुलसीदास द्वारा बताए गए माप के बहुत करीब है। यह संयोग नहीं, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि प्राचीन ऋषि-मुनियों के पास गणना और ब्रह्मांडीय जानकारी का उच्च स्तर का ज्ञान था। 

          शब्दों का विवरण: युग, सहस्त्र, और योजन

             युग (12,000 वर्ष)

भारतीय पौराणिक और धार्मिक साहित्य में युग का अर्थ समय की एक विस्तृत अवधि से होता है। चार प्रमुख युगों का वर्णन किया गया है: 

- सत्य युग (4,800 दिव्य वर्ष)
- त्रेता युग (3,600 दिव्य वर्ष)
- द्वापर युग (2,400 दिव्य वर्ष)
- कलियुग (1,200 दिव्य वर्ष)

इन चार युगों का कुल योग 12,000 दिव्य वर्ष का होता है, जिसे एक महायुग कहा जाता है। महायुग के बाद यह चक्र दोबारा से शुरू होता है, जो समय का एक निरंतर चलने वाला पहिया है। 

   संस्कृत श्लोक:   

   सत्यं त्रेतां द्वापरं च कलिः सर्वस्य जन्मिनाम्।  
 युगेषु युगधर्माणां पृथक् पृथक् प्रतिष्ठितः।।     

(श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार)

             सहस्त्र (1,000)

सहस्त्र का अर्थ 1,000 से है। इसका प्रयोग पौराणिक ग्रंथों में बड़े मापों की गणना के लिए किया जाता है। सहस्त्र शब्द का उपयोग गणना को और अधिक विशिष्ट बनाने में सहायक होता है, जैसे कि सहस्त्र महायुग से एक मन्वंतर का निर्माण होता है। 

             योजन (8 मील)

योजन एक प्राचीन भारतीय माप इकाई है, जिसका प्रयोग बड़े पैमाने की दूरी मापने के लिए किया जाता था। 1 योजन को लगभग 8 मील के बराबर माना जाता है। इस माप का प्रयोग पृथ्वी और अन्य खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी मापने के लिए भी किया गया है।

          दिव्य वर्ष: देवताओं के समय का माप

भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में समय का माप और उसकी गणना काफी गहरी और विस्तृत है। हिंदू धर्म में समय को केवल वर्षों में नहीं बल्कि युगों, महायुगों, मन्वंतर और कल्पों में बांटा गया है। इन मापों में से एक महत्वपूर्ण माप "दिव्य वर्ष" का है, जिसका उपयोग देवताओं और ब्रह्मांडीय घटनाओं के समय को मापने के लिए किया जाता है।
दिव्य वर्ष का अर्थ है "देवताओं का वर्ष।" यह एक ऐसा समय माप है जो यह बताता है कि देवताओं के लिए एक वर्ष का माप मानव समय के मुकाबले कहीं अधिक बड़ा होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, एक दिव्य वर्ष 360 मानव वर्षों के बराबर होता है। इसका अर्थ यह है कि देवताओं का एक दिन-रात का चक्र दो मानव वर्षों के बराबर होता है।

   संस्कृत श्लोक:   

    दिव्यं वर्षं तु दैवानाम् मानवस्य च वत्सरः।  
    चतुर्दशे च मन्वन्तरे कल्पो ब्रह्मणस्तथा।।     

इस श्लोक का अर्थ है कि देवताओं का एक वर्ष मानव के 360 वर्षों के बराबर होता है। इससे यह पता चलता है कि ब्रह्मांडीय समय माप हमारे मानवीय समय से कहीं अधिक व्यापक है।

          युगों का समय चक्र और महायुग

चार मुख्य युगों का समय निम्नलिखित है:

- सत्य युग : 4,800 दिव्य वर्ष = 1,728,000 मानव वर्ष
- त्रेता युग : 3,600 दिव्य वर्ष = 1,296,000 मानव वर्ष
- द्वापर युग : 2,400 दिव्य वर्ष = 864,000 मानव वर्ष
- कलियुग : 1,200 दिव्य वर्ष = 432,000 मानव वर्ष

इन चारों युगों का कुल समय 12,000 दिव्य वर्षों का है। 

   महायुग: जब चार युग पूरे हो जाते हैं, तो एक महायुग बनता है। एक महायुग का समय 4,320,000 मानव वर्षों के बराबर होता है। 

महायुगों के 71 चक्र मिलकर एक मन्वंतर का निर्माण करते हैं, और 1,000 महायुगों का समय एक कल्प कहलाता है। 

   संस्कृत श्लोक:   

    युगसहस्त्रपर्यन्तमर्जुन ब्रह्मणो दिवसः।  
    रात्रिं च तां गमेत्तद्वै कालविधाः संज्ञिताः।।   

इसका अर्थ है कि ब्रह्मा का एक दिन-रात का चक्र 1,000 महायुगों के बराबर होता है, जिसे एक कल्प कहा जाता है।

          हनुमान चालीसा का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व

हनुमान चालीसा के इस दोहे का गणितीय और आध्यात्मिक महत्व समान रूप से गहरा है। एक ओर, यह हमें यह दिखाता है कि प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों के पास ब्रह्मांडीय समय और खगोलीय दूरी का विस्तृत ज्ञान था, और दूसरी ओर, यह हमें बताता है कि हनुमान जी की शक्ति और पराक्रम में कोई सीमा नहीं है।

यह दोहा यह बताता है कि हनुमान जी की शक्ति इतनी महान थी कि उन्होंने सूर्य, जो कि पृथ्वी से करोड़ों मील दूर स्थित है, को मात्र एक मीठे फल की तरह निगल लिया। यह भावना यह दर्शाती है कि हनुमान जी की शक्तियाँ सामान्य मनुष्य के परे हैं और उनका सामर्थ्य देवताओं के समकक्ष है।

हनुमान चालीसा का यह दोहा न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय गणना और ज्ञान का अद्भुत उदाहरण भी है। "जुग सहस्त्र जोजन पर भानू" के माध्यम से यह दोहा हमें भारतीय गणना की प्राचीन परंपरा और उसकी वैज्ञानिक दृष्टि को समझने का मौका देता है। इसके अलावा, दिव्य वर्ष और युगों का गणना चक्र भी हमें यह समझने में मदद करता है कि भारतीय संस्कृति में समय को सिर्फ मानव माप से नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय दृष्टि से देखा गया है।

हनुमान चालीसा के इस ज्ञान से हम यह सीख सकते हैं कि हमारे पूर्वजों का गणना और ब्रह्मांडीय दृष्टिकोण अत्यंत विकसित था। हनुमान जी की महिमा का यह गुणगान हमें यह भी बताता है कि उनकी शक्तियाँ अद्वितीय और असामान्य हैं। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ


Nice Guy :- अच्छा लड़का अक्सर पिछड़ता क्यों है?



#### 'Nice Guy' सिंड्रोम का सच

दुनिया में अच्छे लड़कों के लिए कोई दया नहीं है, और महिलाएं भी इससे अछूती नहीं हैं। आखिर ऐसा क्यों है? अक्सर 'Nice Guy' एक बहुत ही निष्क्रिय-आक्रामक व्यक्ति होता है जो अच्छे बनने के बहाने से अपनी इच्छाएँ पूरी करने की कोशिश करता है। 

#### अच्छे बनने की आड़

'Nice Guy' होने का नाटक करना एक रक्षा तंत्र है, एक तरीका है जिससे लोग आपको पसंद करें जबकि आप अपनी सच्ची इच्छाओं को छुपाए रखें। महिलाएं इस बनावट को आसानी से पहचान सकती हैं और ऐसे लड़कों को 'फ्रेंड जोन' में डाल देती हैं जबकि वे 'बुरे लड़कों' के साथ डेट करती हैं।

#### 'Bad Boy' का आकर्षण

बुरा लड़का जानता है कि उसे क्या चाहिए। उसमें आत्मविश्वास और प्रभुत्व जैसे मर्दाना गुण होते हैं और वह दूसरों को खुश करने के लिए अच्छा बनने का दिखावा नहीं करता। उसकी वास्तविकता का स्तर और सच्चाई का प्रदर्शन उसे 'Nice Guys' से अलग और अधिक आकर्षक बनाता है।

#### 'Nice Guy' की असलियत

अच्छा लड़का बनने की कोशिश करना अक्सर एक तरीके से छिपे हुए मकसद को हासिल करने का प्रयास होता है। महिलाएं इस तरह के व्यवहार को नकली और कमजोर समझती हैं। वे उन पुरुषों की ओर आकर्षित होती हैं जो सच्चे और ईमानदार होते हैं, चाहे वे बुरे लड़के ही क्यों न हों। 

#### वास्तविक आत्मविश्वास और प्रभुत्व

आत्मविश्वास और प्रभुत्व के गुण किसी भी रिश्ते में महत्वपूर्ण होते हैं। बुरा लड़का अपनी इच्छाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है और इस प्रक्रिया में वह अपनी सच्चाई और ईमानदारी को दर्शाता है। इसके विपरीत, अच्छा लड़का अपने वास्तविक विचारों और भावनाओं को छुपाता है, जिससे उसकी कमजोरी और असुरक्षा उजागर होती है।

#### सुझाव: आत्मविश्वासी और वास्तविक बनें

1. **स्वयं के प्रति सच्चे रहें**:
   - अपने विचारों और भावनाओं को ईमानदारी से व्यक्त करें। बनावट और दिखावे से बचें।

2. **आत्मविश्वास विकसित करें**:
   - अपने आत्म-सम्मान को बढ़ाने पर काम करें। आत्मविश्वास और प्रभुत्व के गुण विकसित करें जो महिलाओं को आकर्षित करते हैं।

3. **निष्क्रिय-आक्रामकता से बचें**:
   - अपनी इच्छाओं और जरूरतों को सीधे और स्पष्ट रूप से व्यक्त करें। निष्क्रिय-आक्रामक व्यवहार से बचें।

4. **स्वाभाविक रहें**:
   - दूसरों को खुश करने के लिए अच्छे बनने का नाटक न करें। अपनी वास्तविकता को बनाए रखें और दूसरों को भी ऐसा करने दें।

#### निष्कर्ष

'Nice Guy' सिंड्रोम से बाहर निकलना और आत्मविश्वासी, वास्तविक पुरुष बनना महिलाओं को आकर्षित करने और स्वस्थ रिश्ते बनाने के लिए आवश्यक है। अपने सच्चे आत्म को व्यक्त करें और दूसरों के प्रति ईमानदार रहें, यही सफलता की कुंजी है।

Dead poet's poetry'

In dusty tomes and yellowed pages,
Lies the echoes of a bygone age,
The words of poets long since passed,
Whose verses still have power to enrage.

Their souls, immortalized in ink,
Still speak to us from silent graves,
Their thoughts and feelings, raw and real,
Echo through the ages like waves.

Their words, a testament to the human heart,
A mirror of our own deepest fears,
Their poetry a balm for troubled souls,
A solace in a world that's unclear.

So let us honor these dead poets' art,
Let their words continue to inspire,
For in their poetry we find a light,
A beacon in the darkness of despair.

"कुछ न बदला, अब मैं कहाँ?"

यदि कुछ न बदला, दो साल बाद मैं कहाँ?
मिट्टी में बीजों सा, सूखा सा बियाबान।
सपने जो संजोए थे, सारे अधूरे रह जाएँ,
बिना बारिश के जैसे, बंजर हो जाएं।

आँखों में उम्मीदें हों, पर दिल में ठहराव,
जैसे थमा हुआ सागर, जिसमें न बहाव।
नया कुछ न करने से, न होगा कोई निर्माण,
जैसे बिना लहरों के, थमा हुआ एक जहान।

जो हिम्मत ना जुटा पाए, ख्वाबों को पाने का,
वो अपनी ही परछाई से, डर के रहेगा।
अगर कदम न बढ़ा पाए, अंधेरों से पार,
तो कैसे देखेगा, उगता हुआ सवेरा, ये संसार?

दो साल बीत जाएँगे, यूँ ही वक्त की चाल,
हाथों में कुछ ना होगा, खालीपन का हाल।
जो साहस न कर पाए, वो क्या पायेगा आन,
उसके जीवन में रहेगा, सन्नाटा और विरान।

इसलिए आज सोच ले, क्या है तेरा मकसद,
कदम बढ़ा, कोशिश कर, पाने का ये है अवसर।
नही तो दो साल बाद, फिर वही सवाल होगा,
"कुछ न बदला, अब मैं कहाँ?" यही मलाल होगा।

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Anulom Vilom Pranayama, also known as alternate nostril breathing, is a powerful breathing practice from ancient yogic traditions. It involv...