### कुंडलिनी जागरण: एक अलौकिक अनुभव
कुंडलिनी ऊर्जा का जागरण एक अद्भुत और गहन आध्यात्मिक अनुभव है, जो व्यक्ति के जीवन में एक नयी दृष्टि और संवेदना का संचार करता है। यह ऊर्जा एक सर्पिणी की तरह व्यक्ति के मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक उठती है, जिससे जीवन के प्रत्येक क्षण में एक मानसिक, शारीरिक और आत्मिक परिवर्तन आता है। यह परिवर्तन इतना गहरा और व्यापक होता है कि इसे एक निरंतर मानसिक अवस्था या साइकेडेलिक अनुभव के रूप में अनुभव किया जा सकता है, बिना किसी बाहरी पदार्थ के सेवन के।
### कुंडलिनी जागरण और उसका प्रभाव
कुंडलिनी जागरण के साथ आने वाला अनुभव अत्यंत अद्वितीय और व्यक्तिगत होता है। इसे समझने के लिए भारतीय योग और तंत्र विद्या में प्राचीन शास्त्रों में वर्णित श्लोकों का सहारा लिया जा सकता है। योगशास्त्र में कहा गया है:
> **"कुण्डली शक्तिः समारूढा प्राणो नाभ्यां समाश्रितः।
> उत्तिष्ठन्ति महाभोगे यत्र सर्वे निवर्तते।"**
> (योगकुण्डल्युपनिषद्)
अर्थात, जब कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, तब प्राण ऊर्जा नाभि में स्थित होकर ऊपर उठती है और महान आनंद की अवस्था में पहुँचती है, जहाँ सब कुछ समाप्त हो जाता है।
### कुंडलिनी और मानसिक स्थिति
कुंडलिनी जागरण से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के मानसिक और आध्यात्मिक अनुभव होते हैं। यह एक प्रकार का निरंतर साइकेडेलिक अनुभव होता है जो जीवन के हर पल को चमत्कारिक और रहस्यमय बना देता है। इस अनुभव को हिंदी के प्रसिद्ध कवि निराला के शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है:
> **"मानस की गंगा बहे, जीवन में उमंग आये,
> आत्मा का नर्तन हो, कुंडलिनी जब जागे।"**
कुंडलिनी के जागरण से व्यक्ति का मनोभाव और चेतना स्तर में वृद्धि होती है, जिससे वह साधारण जीवन को एक नयी दृष्टि से देखता है। यह जागरण मनुष्य को असीम शांति, आनंद और ज्ञान की ओर ले जाता है, जो किसी भी अन्य माध्यम से प्राप्त करना कठिन होता है।
### निष्कर्ष
कुंडलिनी जागरण एक दिव्य और अलौकिक अनुभव है, जो व्यक्ति के सम्पूर्ण अस्तित्व को परिवर्तित कर देता है। यह अनुभव न केवल मानसिक और आत्मिक स्तर पर प्रभाव डालता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पहलू को सकारात्मक रूप से बदल देता है। कुंडलिनी जागरण के इस गहन अनुभव को शब्दों में बयां करना कठिन है, परंतु यह एक ऐसी अवस्था है जिसे अनुभव करने के बाद व्यक्ति स्वयं ही समझ सकता है।
> **"कुण्डलिनी जाग्रत योगी, संसार से न्यारा हो,
> आत्मा की अनुभूति से, हर पल वह प्यारा हो।"**
इस प्रकार, कुंडलिनी जागरण एक सतत् और अद्वितीय साइकेडेलिक अनुभव है जो मनुष्य को उसकी उच्चतम संभावनाओं की ओर ले जाता है।
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