मानव अस्तित्व का रहस्य और उसकी ऊर्जा तरंगों का खेल एक गहन और अद्भुत विषय है। कई बार हम देखते हैं कि कुछ लोग जिनके पास न तो बौद्धिक ज्ञान होता है और न ही धार्मिक ज्ञान, फिर भी उनकी ऊर्जा और कम्पन इतनी उच्च होती है कि यह एक पूर्ण विरोधाभास जैसा प्रतीत होता है। वहीं, कुछ धार्मिक दिखने वाले व्यक्ति समाज के निम्न ऊर्जा तरंगों और पूर्वाग्रहों में उलझे रहते हैं।
### उच्च ऊर्जा तरंगें और साधारण जीवन
उच्च ऊर्जा तरंगों वाले लोग बिना किसी बाहरी ज्ञान के अपने भीतर एक गहरी समझ और शांति का अनुभव करते हैं। उनकी उपस्थिति में हमें एक अलौकिक शांति और सुकून का एहसास होता है। इस संदर्भ में, गीता का श्लोक उद्धृत करना उचित होगा:
> **"उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
> आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥"**
> (भगवद्गीता 6.5)
अर्थात, मनुष्य को अपने आत्मा द्वारा ही ऊपर उठाना चाहिए और अपने आप को नीचे गिरने नहीं देना चाहिए। आत्मा ही मनुष्य का मित्र है और आत्मा ही उसका शत्रु है।
### जानने और न जानने का महत्व
इस संसार में "जानना" सिर्फ एक छोटा हिस्सा है, जो बातचीत और सामाजिक संपर्क के लिए उपयोगी है। जबकि "न जानना" अधिक शक्तिशाली है, यह एक गहरे सागर में छिपे गहरे रहस्य की तरह है जो कभी इस संसार में जन्मा ही नहीं। इस विचार को प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता में व्यक्त किया जा सकता है:
> **"जिंदगी और कुछ भी नहीं,
> तेरी मेरी कहानी है।
> जानने का क्या काम यहाँ,
> बस जीना ही मस्तानी है।"**
यह विचार हमें यह सिखाता है कि जीवन का असली रस उस मासूमियत में है जो एक बच्चे की तरह होती है, जो कुछ नहीं जानता और फिर भी सब कुछ समझता है।
### न जानने की शक्ति
न जानने की स्थिति में व्यक्ति का मन खुला और ग्रहणशील रहता है। यह स्थिति उसे अस्तित्व की गहराईयों में ले जाती है, जहाँ उसे जीवन के वास्तविक रहस्यों का अनुभव होता है। इस अनुभव को योगसूत्र में पतंजलि ने इस प्रकार वर्णित किया है:
> **"योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।
> तदा द्रष्टुः स्वरूपेऽवस्थानम्॥"**
> (योगसूत्र 1.2-1.3)
अर्थात, योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है, तब द्रष्टा अपने स्वरूप में स्थित होता है।
### निष्कर्ष
अस्तित्व का रहस्य और उसकी गहराईयों में छिपे सत्य को समझने के लिए हमें एक बच्चे की तरह मासूम और जिज्ञासु बनना होगा। "जानना" हमें सतह पर रखता है, जबकि "न जानना" हमें गहराईयों में ले जाता है। यह गहराई ही वास्तविक शक्ति है, जो हमें जीवन के वास्तविक अर्थ का अनुभव कराती है।
> **"जीवन की गहराई में, खोजें असली रस,
> मासूम बने रहो सदा, यही है जीवन का बस।"**
इस प्रकार, हमें जीवन को एक गहरे सागर की तरह देखना चाहिए, जहाँ हर एक लहर में एक नया रहस्य और एक नई सीख छिपी होती है।
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