लेखन मेरे लिए सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जब मैं लिखने बैठता हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे मैं अपनी एक अलग दुनिया में प्रवेश कर रहा हूँ—जहां केवल शब्द, विचार और रचनात्मकता का प्रवाह है। लेकिन यह तब ही संभव हो पाता है जब मेरे आसपास का वातावरण शांत हो।
लेखन के लिए शांति क्यों ज़रूरी है?
मैंने अपने जीवन में यह महसूस किया है कि लेखन एक गहरी ध्यान प्रक्रिया है। अगर आपके आस-पास शोर हो या बार-बार ध्यान भटके, तो आपके विचारों की श्रृंखला टूट जाती है। एक लेखक के रूप में, मैंने हमेशा एक ऐसी जगह की तलाश की है, जहां मैं बिना किसी बाधा के खुद को व्यक्त कर सकूँ।
जब मैं अपने लेखन के सफर की शुरुआत कर रहा था, तो अक्सर खुले ऑफिस या हलचल भरे वातावरण में काम करने का अनुभव हुआ। वहां मैं समझ पाया कि लेखन केवल "स्पेस टू सोशलाइज" की नहीं, बल्कि "स्पेस टू थिंक" की मांग करता है।
मेरी लेखन प्रक्रिया
मेरी लेखन प्रक्रिया तब ही सफल होती है, जब:
1. मुझे अकेले में सोचने का समय मिले: मेरी सबसे अच्छी रचनाएँ तब सामने आती हैं जब मैं खुद के साथ होता हूँ।
2. बाहरी शोर से दूर रहूँ: चाहे मैं घर में होऊँ या ऑफिस में, अगर शांति है तो विचार स्वतः बहने लगते हैं।
3. अनवरत ध्यान देने का समय हो: जब मुझे बिना किसी व्यवधान के घंटों का समय मिलता है, तब मेरे लेखन में गहराई और सटीकता होती है।
लेखन और ध्यान का रिश्ता
मैंने महसूस किया है कि लेखन और ध्यान में गहरा संबंध है। लेखन के दौरान मैं अपनी गहरी भावनाओं और विचारों से जुड़ता हूँ। यह एक प्रकार का मानसिक योग है, जहां मैं खुद को एक अलग आयाम में पाता हूँ।
दूसरों के लिए मेरा संदेश
अगर आप भी किसी लेखक को जानते हैं, तो उनकी शांति का सम्मान करें। अगर वे कभी आपसे थोड़ा दूर दिखें, तो समझ लें कि वे अपनी रचनात्मकता को आकार देने में लगे हुए हैं।
मेरी दुनिया
मेरे लिए लेखन केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि यह वह माध्यम है, जिससे मैं अपने भीतर की गहराइयों को बाहर ला पाता हूँ। लेखन मेरी आत्मा की आवाज़ है, और इसे सुनने के लिए मुझे केवल एक चीज़ चाहिए—शांति।
"क्योंकि शांति के बिना न तो विचार आकार लेते हैं और न ही शब्दों में जादू पैदा होता है।"
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