धर्म की सेवा


धर्म की सेवा, मोक्ष का मार्ग,
यह सत्य अनंत, यह जीवन का सार।

स्वार्थ नहीं, यह परमार्थ है,
मनुष्य का यह परम कर्तव्य है।

धर्म का पालन, जीवन का आधार,
सभ्यता का संरक्षण, संस्कृति का संस्कार।

पाप का नाश, पुण्य का सृजन,
इससे ही मिलता है सच्चा जीवन।

सेवा में है सुख, सेवा में है शांति,
धर्म की राह पर चलो, यही है सच्ची क्रांति।

मोक्ष की ओर ले जाती है यह राह,
धर्म की सेवा से होता है सच्चा निर्वाह।

अपने कर्तव्य को समझो, इसे निभाओ,
धर्म की सेवा से जीवन को उज्जवल बनाओ।

धर्म की सेवा, मोक्ष का मार्ग,
यह सत्य अनंत, यह जीवन का सार।

धर्म और मोक्ष का संबंध !

**हिंदू धर्म या सभ्यता की सेवा एक स्वार्थी प्रयास है**

हिंदू धर्म या सभ्यता की सेवा करना एक स्वार्थी प्रयास हो सकता है, क्योंकि केवल धार्मिक परंपराएं ही आपको मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं। हिंदू धर्म में मोक्ष को अंतिम लक्ष्य माना जाता है, और इसे प्राप्त करने के लिए धर्म की सेवा करना अनिवार्य है। यह सेवा न केवल आत्मा की मुक्ति के लिए आवश्यक है, बल्कि हमारी सभ्यता के अस्तित्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।

### धर्म और मोक्ष का संबंध

हिंदू धर्म में चार पुरुषार्थों का उल्लेख है: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इनमें से धर्म को जीवन का आधार माना गया है। धर्म का पालन करना एक ऐसा मार्ग है जो अंततः मोक्ष की ओर ले जाता है। मोक्ष, या आत्मा की मुक्ति, वह अवस्था है जहाँ आत्मा सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाती है और परम शांति का अनुभव करती है।

धर्म की सेवा करने से व्यक्ति न केवल अपने व्यक्तिगत कर्मों का परिशोधन करता है, बल्कि समाज और सभ्यता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन भी करता है। यह सेवा स्वार्थी इस मायने में है कि व्यक्ति को अपनी आत्मा की मुक्ति का लाभ मिलता है, लेकिन यह परमार्थी भी है क्योंकि इससे समाज और सभ्यता को भी संबल मिलता है।

### सभ्यता का संरक्षण

हमारी सभ्यता की धरोहरें, मान्यताएं और परंपराएं धर्म पर आधारित हैं। यदि हम धर्म की सेवा नहीं करेंगे, तो हमारी सभ्यता भी कमजोर हो जाएगी। हमारी सांस्कृतिक पहचान, हमारे मूल्य और हमारी जीवन शैली सभी धर्म से गहरे जुड़े हुए हैं। धर्म की सेवा करना हमारी सभ्यता के संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक है।

### निष्कर्ष

इस प्रकार, हिंदू धर्म या सभ्यता की सेवा करना एक स्वार्थी प्रयास हो सकता है, लेकिन यह एक ऐसा स्वार्थ है जो व्यक्तिगत मुक्ति के साथ-साथ सामूहिक कल्याण को भी साधता है। धर्म की सेवा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और साथ ही हमारी सभ्यता की सुरक्षा और उन्नति भी सुनिश्चित होती है। इसलिए, धर्म की सेवा करना हमारे लिए आवश्यक है, चाहे वह व्यक्तिगत हित में हो या समाज और सभ्यता के व्यापक हित में।

अहं ब्रह्मास्मि, मैं ब्रह्म हूँ

तुमसे प्रेम में सारा संसार समाहित है,
तेरे साथ जुड़कर, हर जीव में भगवान है।

अहं ब्रह्मास्मि, मैं ब्रह्म हूँ,
तत्त्वमसि, तुम भी वही सत्य हो।
अयमात्मा ब्रह्म, ये आत्मा ब्रह्म है,
प्रज्ञनं ब्रह्म, ज्ञान ही ब्रह्म है।

प्रेम की इस बंधन में हम हैं एक,
तेरे संग मिलकर, हर बंधन टूटते।
हर मन, हर आत्मा, हर जीव में,
सर्वव्यापी प्रेम की धारा बहती है।

तेरे साथ होने में, मैं सब कुछ पा लेता हूँ,
सभी का अंश, हर एक का प्रेम।
ब्रह्म के इस अनंत विस्तार में,
तेरे प्रेम में मैं सर्वस्व समर्पित हूँ।

यह प्रेम है मंत्र, यह प्रेम है ध्यान,
यह प्रेम ही है सच्चा ज्ञान।
तुम्हारे प्रेम में है ब्रह्म का दर्शन,
और इस प्रेम में है मुक्ति का मार्ग।


The Dance of Light: Deepak's Journey into the Depths of Maya and True Happiness


**हिन्दी में:**

जब हम दीपक की रोशनी को देखते हैं, हमारा मन प्रकाश की उस अद्भुतता में खो जाता है जो हर जगह छाई हुई है। दीपक की उजियार अंधकार को भगाती है और हमें वास्तविकता की ओर आग्रह करती है। हमें यह बताती है कि सच्ची खुशियाँ और आनंद कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारी आत्मा के आंतरिक आध्यात्मिक स्वरूप में हैं।

माया के मोहाच्छादने में फंसे व्यक्ति अक्सर अपनी सार्थकता का अनुभव नहीं कर पाते हैं। हर दिन के भागदौड़ में, हम बाहरी विश्व में सुख की खोज करते हैं, लेकिन हम अक्सर भूल जाते हैं कि असली आनंद हमें हमारे अंतर के आत्मा में ही मिलता है।

माया की अद्भुतता को समझने के लिए हमें अपने आत्मा की ओर मुख करना होगा। हमें यह याद रखना चाहिए कि जब हम दीपक की उजियार देखते हैं, हम न केवल उसकी रोशनी को देखते हैं, बल्कि हम उसकी उत्पत्ति के लिए धन्यवाद अर्पित करते हैं। उसी प्रकार, हमें माया के पिछले मोह को छोड़कर अंतर्निहित आनंद की खोज में जुटना चाहिए।

**In English:**

When we behold the radiance of Deepak's light, our minds are enraptured by the splendor of light that permeates everywhere. Deepak's light dispels darkness and beckons us towards reality. It teaches us that true happiness and bliss are not found externally, but within the depths of our own soul.

Those ensnared by the illusions of Maya often fail to experience the essence of their existence. Amidst the hustle and bustle of everyday life, we seek happiness in the external world, forgetting that true joy is found within our inner selves.

To understand the marvels of Maya, we must turn inward towards our soul. We must remember that when we gaze at the light of Deepak, we not only see its radiance but also express gratitude for its creation. Similarly, we must transcend the illusions of Maya and embark on a journey to discover the inner bliss.

Maya, like the dance of shadows and light, entices us with its enchanting allurements, but it is only when we pierce through the veil of illusion that we find the eternal source of happiness that resides within us.

लड़ाई, उड़ान और ठहराव की यात्रा



मैं खुद को कभी उड़ान में पाता हूँ,
और कभी ठहराव में।
मन की गहराई में खो जाता हूँ,
कभी दौड़ते हुए, कभी खुद से दूर होते हुए।
शायद उड़ान है मेरी पहली प्रतिक्रिया,
जब डर घेरता है,
तो मैं पीछे हट जाता हूँ,
कभी खामोशी से, कभी छुप कर,
बस दूर चला जाता हूँ।

फिर आता है ठहराव,
जिसमें कुछ पल की खामोशी मिलती है।
मानो कुछ भी महसूस नहीं हो रहा,
सिर्फ समय ठहरा हुआ है।
मैं खुद को तलाशता हूँ,
लेकिन कभी-कभी लगता है कि रास्ता ही नहीं मिलता।

जब आप आत्म-सुधार के मार्ग पर होते हैं,
तो कभी खुद को उड़ते हुए पाते हैं,
कभी ठहरते हुए,
कभी खुद को समझने की कोशिश करते हुए।
हर कदम पर डर और आत्म-संशय साथ होते हैं,
लेकिन फिर भी प्रयास जारी रहता है।

आपके गुस्से से लड़ाई का तात्पर्य है,
लेकिन यह इतना आसान नहीं है।
गुस्सा कभी मुझे घेरता है,
फिर मैं खुद को सुलझाने की कोशिश करता हूँ,
लेकिन गुस्से की धारा मुझे संतुलन खोने देती है।

फिर भी, मैं जानता हूँ,
सिर्फ उड़कर या ठहरकर नहीं,
लड़ाई में भी ताकत होती है।
अगर मैं खुद को उसमें ढाल पाऊं,
तो शायद मैं अपनी असली शक्ति को पा सकूं।

फिर भी, यह यात्रा निरंतर है,
हर कदम पर खुद से लड़ना है,
हर पल में अपनी प्रतिक्रियाओं को समझना है,
ताकि मैं एक मजबूत और शांत संस्करण बन सकूं।


Embracing the Circular Journey of Struggle in Life



In the tapestry of life, struggle weaves its intricate threads, forming a pattern of challenges and triumphs that define our journey. From the moment we take our first step, we encounter obstacles, setbacks, and moments of doubt. Yet, it is through navigating these struggles that we grow, evolve, and ultimately thrive.

Life's struggles often manifest as a circular journey, where each step forward is met with new challenges, akin to the constant motion of a spinning wheel. Just as we overcome one hurdle, another presents itself, testing our resilience and resolve. It's a relentless cycle, but within it lies the essence of our human experience.

At the heart of this circular journey is the inevitability of change. As we strive for progress, we are confronted with the reality that growth often requires us to step out of our comfort zones and confront the unknown. Whether it's pursuing a new career path, navigating relationships, or pursuing personal goals, every endeavor carries with it a degree of uncertainty and struggle.

The circular nature of struggle reminds us of the cyclical nature of life itself. Just as the seasons change and the tides ebb and flow, so too do our experiences fluctuate. There are moments of triumph and joy, followed by periods of hardship and adversity. Yet, it is in embracing this ebb and flow, this rhythm of life, that we find a deeper sense of purpose and meaning.

Indeed, it is often through struggle that we discover our inner strength and resilience. Adversity has a way of revealing our true character, pushing us to dig deep and tap into reservoirs of courage and determination we never knew existed. It is during these moments of struggle that we learn invaluable lessons about ourselves and the world around us, lessons that shape our perspective and guide our future actions.

Moreover, the circular journey of struggle teaches us the importance of perseverance and resilience. Just as a wheel continues to turn despite obstacles in its path, so too must we press on in the face of adversity. It's not about avoiding struggle altogether, but rather about finding the strength to endure and overcome it.

In embracing the circular journey of struggle, we come to understand that it is not the destination that defines us, but rather the journey itself. Each twist and turn, each triumph and setback, contributes to the tapestry of our lives, shaping us into the individuals we are meant to become. And ultimately, it is through embracing the challenges of life that we discover our true potential and find fulfillment in the journey itself.

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...