एक अच्छी स्त्री का प्रभाव



एक अच्छी स्त्री, जैसे सवेरा,
अंधेरे में रौशनी का बसेरा।
वो खोलती है नज़रों से पर्दे,
दिखाती है सच, जो था छुपा हर कोने।

उसका प्रेम नहीं बस आकर्षण,
वो सिखाती है जीवन का अर्थ, उसका सृजन।
हर बिखरे सपने को जोड़कर,
वो देती है नए रास्तों का पथ।

उसकी बातों में होती है सच्चाई,
उसके कर्मों में छुपी होती है गहराई।
वो सिखाती है धैर्य और समझदारी,
और हर मुश्किल को पार करने की तैयारी।

एक अच्छी स्त्री,
पुरुष को बेहतर इंसान बनाती है।
न सिर्फ़ प्रेम में,
बल्कि उसकी आत्मा को भी सजाती है।

वो उसकी शक्ति है, उसका आधार,
उसके जीवन का अनमोल उपहार।
जो समझे इस संबंध का सार,
वो पाता है जीवन में सही मार्ग।


धूप की तरह


तुझे पा लिया धूप की तरह
मगर धूप की तरह ही तू
सुबह कुछ देर ताजगी का एहसास देती है
और फिर दिन की गर्मी की तरह जलाती है

मैं जलता रहता हूँ तेरी खिलखिलाती धुप में
छांव भी नसीब नहीं
मगर तेरी जुल्फ जब मैं  ओढ़ लेता हूँ
 चेहरे पर वो मुझे शाम का एहसास देती है

जब तक ये एहसास जीता हूँ
तब तक तू शाम की तरह कहीं अँधेरे में खो जाती है
मैं ढूंढता फिरता रहता हूँ तुझे अँधेरे में
मगर ना जाने कहाँ तू खो जाती है

हर दिन धुप की तरह तू आती है
और रात की तरह चली जाती है
और मैं हर  पल तेरे लिए
जलता भी हूँ  बुझता भी हूँ 

ब्रह्मांड का शिक्षक



ज्ञान न पुस्तक में छुपा, न शास्त्रों के पन्नों में,
यह तो मौन का दीप है, स्व-अंतर के अन्नों में।
सत्य के स्वर लहराते हैं, आत्मा की गहराई में,
ब्रह्मांड करता मार्गदर्शन, हर जीव की परछाई में।

सूर्य की किरणें सिखातीं, तप और समर्पण का सार,
चंद्रमा की शीतलता कहती, शांत रहो, यही आधार।
वृक्षों की नीरवता बोलती, धैर्य का गूढ़ संदेश,
पर्वतों का अडिग खड़ा रहना, देता दृढ़ता का उपदेश।

सर्वं खल्विदं ब्रह्म का मंत्र, हर पल गुंजित है,
जो देखे उसे एक दृष्टि से, वही तो विजित है।
जीवन के सुख-दुख दोनों, शिक्षक रूप में आते हैं,
प्रेम और करुणा के पाठ, हर अनुभव सिखाते हैं।

मौन साधना से निकलेगा, अद्वितीय वह ज्ञान,
जो शब्दों से परे है, पर करता है हर सीमा का भान।
आओ इस पावन दिन पर, यह सत्य स्वीकारें,
कि ब्रह्मांड हमारा गुरु है, और सब अनुभव हमारे।

ज्ञानं चैतन्यमेव च, यही आत्मा का स्वरूप,
इस दिव्यता का अनुभव ही, है मुक्ति का आरूप।


काले युवा संस्कृति का अभाव



आज की पत्रिकाओं और मंचों में,
कहीं खो गया है काले युवाओं का सच।
न तो उनके संघर्षों की गूँज है,
न उनके सपनों का कोई अंश।

उनकी ऊर्जा, उनका रिदम, उनकी चाल,
सबकुछ अनदेखा, जैसे कोई भूला सवाल।
उनके अंदाज़, उनकी रचनात्मकता का कोई मूल्यांकन नहीं,
बस सतही चर्चाओं का सिलसिला है वहीं।

कहाँ है वो मंच जो उनकी पहचान को उजागर करे?
जो उनकी कहानियों को दुनिया के सामने रखे?
न तो कोई जमीनी खोज, न कोई गहराई,
सिर्फ खोखली बातें और चमकती परछाई।

ज़रूरत है उनके जीवन में झाँकने की,
उनके संगीत, उनके नृत्य, उनके शब्दों को समझने की।
उनके संघर्षों और विजयों का दस्तावेज़ बनाना होगा,
उनकी संस्कृति का सही सम्मान अब जताना होगा।

काले युवाओं की कहानी सिर्फ उनकी नहीं,
ये हमारी भी पहचान है, हमारी भी ज़मीन।
तो क्यों न मिलकर एक नया अध्याय लिखें,
जहाँ हर युवा का सपना साकार दिखे।


काला सिनेमा: नई लहर की तलाश



आज हम ऐसे दौर में हैं जहाँ सृजन की संभावनाएँ अनंत हैं,
फिर भी, काले सिनेमा और मीडिया में दिखती है एक चुप्पी—एक खालीपन।
वो गहराई, वो पेशेवर अंदाज़,
जो कभी धर्मयुग या साप्ताहिक हिंदुस्तान जैसे मंचों की पहचान थे, अब जैसे खो से गए हैं।

इतने सारे उभरते हुए रचनाकार,
हर एक के पास कहने को कुछ ख़ास।
वो जुनून, वो आवाज़, वो विचार,
जो नए युग के प्रेरणा स्तंभ बन सकते हैं, कला के सितारे।

तो क्यों नहीं कोई नया मंच,
जहाँ संस्कृति और कला का हो अद्भुत संगम?
जहाँ हर कहानी को मिले सही सम्मान,
और हर आवाज़ को मिले अपनी पहचान।

ज़रूरत है फिर से उस ऊर्जा को जगाने की,
उन कहानियों को सुनाने की,
जो गहराई में उतरती हैं,
जो विचारों को बदलती हैं।

हमारे पास साधन हैं, तकनीक है,
बस चाहिए वो जुनून,
जो इसे नई ऊँचाइयों तक ले जाए,
और हर रंग को उसकी असली पहचान दिलाए।

क्योंकि सिनेमा और साहित्य की यह धारा,
सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक क्रांति का इशारा।


नया सवेरा


जब जीवन में आए नया सवेरा,
मैं सोचूं नई शुरुआत की डेरा।
कभी नहीं होता देर, नया आगाज़,
मैं अपनी किस्मत का करूँ फिर से साज़।

जब पुरानी बातें हो जाएं भूल,
मैं नए सपनों को दूँ जगह कुल।
हर पल हो सकता है नया सफर,
मैं अपने मन को करूँ फिर से तर।

जब राहें मुड़ें और रास्ते बदलें,
मैं अपनी हिम्मत को नई ऊंचाई दे डालूँ।
कभी नहीं होती देर, नया आरंभ,
मैं अपने जीवन को फिर से संभालूँ।

दोस्ती का संगम



अगर कभी तुमने दोस्ती के किनारे न मिलाए,
तो वो जादू कभी नहीं देखा होगा, जो दिलों को लुभाए।
जहाँ बातें हों अलग-अलग रास्तों से आईं,
और मुस्कानें बन जाएँ सबकी परछाईं।

रिश्तों को बांधने का ये जोख़िम जरूरी है,
क्योंकि प्यार का रंग तब ही पूरा है।
जब दोस्त तुम्हारे एकसाथ हँसे-गाएँ,
और पुरानी यादें नई कहानियाँ बन जाएँ।

सोचो, वो पल जब रसोई में तुम अकेले,
और हॉल में हर कोना चहके, मेले जैसे।
किसी का ठहाका, तो किसी की कहानियाँ,
और तुम बस अपनी खुशी के प्याले में हो।

ज़िंदगी के ये पल अनमोल होते हैं,
जो दोस्ती के संगम से संजोए जाते हैं।
तो डर छोड़ो, दरवाज़े खोल दो,
अपने दिल और घर को सबके लिए खोल दो।

क्योंकि जब दिल मिले, तो जश्न का शोर होता है,
और हर घूँट में ज़िंदगी का स्वाद होता है।


हाँ, मैं एक पेशेवर लेखक हूँ


कारपोरेट की दौड़ में, जहाँ हर कोई भाग रहा है,
वहीं मैं शब्दों के संसार में अपना वक्त लगा रहा हूँ।
9 से 5 की नौकरी, एक रोज़गार की डोर,
पर अंदर पलती है कहानियों की कोर।

कागज़ नहीं, मन के परदे पर लिखता हूँ,
मीटिंग के बीच, किरदारों को जीता हूँ।
मुझे देखा जाए तो मैं एक साधारण कामगार हूँ,
पर मेरी लेखनी से सजी कहानियाँ, ये सब जानकार हूँ।

हां, घड़ी की सुइयों से चलता हूँ,
पर अपने सपनों के पीछे हरदम पलता हूँ।
पैसे कमाने का जरिया ये नौकरी सही,
पर मेरी रूह की तस्कीन, मेरी कहानियाँ ही।

लोग पूछते हैं, "क्या ये सही है?"
मैं कहता हूँ, "शब्द मेरी आज़ादी हैं।"
मैं वो फिल्मकार हूँ, जो हर किरदार को जीता है,
नौकरी की दुनिया में भी अपनी कला को सींचता है।

तो हाँ, मैं एक पेशेवर लेखक हूँ,
अपने काम और सपनों के बीच एक पुल बुनता हूँ।
एक दिन ये कहानियाँ परदे पर उतरेंगी,
और तब मेरी मेहनत की आवाज़ सब तक पहुँचेंगी।


जीवन की यात्रा


यह सच है, जीवन एक खुली किताब है,
जहाँ तुम पाठक नहीं, लेखक हो,
कभी चित्रकार, कभी आलोचक।
हर पन्ने पर तुम अपनी कहानी लिखते हो,
हर मोड़ पर अपनी दिशा तय करते हो।

तुम्हारी कल्पना है जो आसमान को रंगती है,
या कभी उसे निर्विकार छोड़ देती है।
यह तुम्हारी इच्छा है,
कि हर क्षण को कैसे जीना है।

कभी तुम संघर्षों को चुनते हो,
कभी शांतियों में खो जाते हो।
यह तुम्हारा चुनाव है,
तुम क्या चाहते हो, वही हो जाता है।

कोई बंधन नहीं, कोई मजबूरी नहीं,
सब कुछ तुम्हारे हाथ में है।
लेकिन सबसे बड़ी बात,
तुमने जो किया, वही तुम्हारा चुनाव था।

इस यात्रा में तुम खुद के लेखक हो,
तुम्हारे हर कदम में एक नई कथा है।
कभी कुछ नहीं करना भी एक चुनाव है,
और वह भी तुम्हारा है।

क्योंकि अंत में, यह जीवन कोई गंतव्य नहीं,
बल्कि एक अनगिनत विकल्पों की यात्रा है,
जहाँ हर पल तुम्हारी रचना है,
और तुम खुद ही उसका निर्णायक हो।


सिनेमा का साधक



सपनों को कैनवास पर उकेरता हूँ,
दिन की नौकरी में खुद को खोजता हूँ।
रात के सन्नाटों में कहानियाँ बुनता,
हर फ्रेम में अपना दिल रखता हूँ।

नहीं मापता खुद को पैसे से,
कला की परिभाषा मेरे प्रयास से।
फिल्मकार हूँ मैं, इस पहचान से नहीं,
बल्कि उस जुनून से, जो रगों में बहता है कहीं।

हर सुबह काम पर चलता हूँ,
लेकिन रातों में सिनेमा जीता हूँ।
कहते हैं, जो नाम कमाए वही महान,
मैं कहता हूँ, जो दिल लगाए वही सच्चा इंसान।

तो आज भी मैं अपने सपने जिंदा रखूँगा,
काम के बाद भी कहानियों को रचूँगा।
फिल्में मेरी आत्मा हैं, मेरी आवाज़ हैं,
मैं फिल्मकार हूँ, यही मेरी पहचान है।


ताकत और कमजोरी का खेल



ताकतवर दिखे तो सब सर झुकाते,
कमजोर दिखे तो सब मुँह बनाते।
दुनिया का नियम बड़ा सीधा-सादा,
"जिसकी लाठी, उसकी भैंस" का वादा।

तगड़े बंदे जिम में पसीना बहाते,
कमजोर छत पर कपड़े सुखाते।
बाइसेप्स वाले जब गली में आते,
लोग सेल्फी के लिए लाइन लगाते।

कमजोर बेचारे चाय के साथ बिस्किट तोड़ते,
"भाई, तगड़ा कैसे बनूं?" हर कोने में सोचते।
तगड़े की थाली में प्रोटीन का खेल,
कमजोर के पास बस आलू का मेल।

दुनिया को बस बाहरी काया भाती,
अंदर की अच्छाई अक्सर छुप जाती।
पर क्या करें, ये तो बड़ा है कमाल,
"मसल्स दिखे तो दिल भी बड़ा" का सवाल।

कमजोर ने कहा, "भाई, सुन जरा,
हम भी इंसान हैं, दिल से भरा!"
तगड़े ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
"पहले पुशअप्स मार, फिर बात किया!"

तो भाई, ये दुनिया बड़ी जज है,
ताकत देखे तो प्यार बढ़े फट से।
पर अंदर की सच्चाई कौन समझाए,
कमजोर का दिल भी कभी न भरमाए।

तो चाहे तगड़े हो या थोड़ा पतले,
मजे करो, खाओ, और रहो मस्त कल्ले।
क्योंकि असली ताकत दिल में है छुपी,
पर हाँ, बाइसेप्स हो तो दुनिया है दबी!


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...