Thursday 27 December 2018

धूप की तरह


तुझे पा लिया धूप की तरह
मगर धूप की तरह ही तू
सुबह कुछ देर ताजगी का एहसास देती है
और फिर दिन की गर्मी की तरह जलाती है

मैं जलता रहता हूँ तेरी खिलखिलाती धुप में
छांव भी नसीब नहीं
मगर तेरी जुल्फ जब मैं  ओढ़ लेता हूँ
 चेहरे पर वो मुझे शाम का एहसास देती है

जब तक ये एहसास जीता हूँ
तब तक तू शाम की तरह कहीं अँधेरे में खो जाती है
मैं ढूंढता फिरता रहता हूँ तुझे अँधेरे में
मगर ना जाने कहाँ तू खो जाती है

हर दिन धुप की तरह तू आती है
और रात की तरह चली जाती है
और मैं हर  पल तेरे लिए
जलता भी हूँ  बुझता भी हूँ 

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thanks

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