काले युवा संस्कृति का अभाव



आज की पत्रिकाओं और मंचों में,
कहीं खो गया है काले युवाओं का सच।
न तो उनके संघर्षों की गूँज है,
न उनके सपनों का कोई अंश।

उनकी ऊर्जा, उनका रिदम, उनकी चाल,
सबकुछ अनदेखा, जैसे कोई भूला सवाल।
उनके अंदाज़, उनकी रचनात्मकता का कोई मूल्यांकन नहीं,
बस सतही चर्चाओं का सिलसिला है वहीं।

कहाँ है वो मंच जो उनकी पहचान को उजागर करे?
जो उनकी कहानियों को दुनिया के सामने रखे?
न तो कोई जमीनी खोज, न कोई गहराई,
सिर्फ खोखली बातें और चमकती परछाई।

ज़रूरत है उनके जीवन में झाँकने की,
उनके संगीत, उनके नृत्य, उनके शब्दों को समझने की।
उनके संघर्षों और विजयों का दस्तावेज़ बनाना होगा,
उनकी संस्कृति का सही सम्मान अब जताना होगा।

काले युवाओं की कहानी सिर्फ उनकी नहीं,
ये हमारी भी पहचान है, हमारी भी ज़मीन।
तो क्यों न मिलकर एक नया अध्याय लिखें,
जहाँ हर युवा का सपना साकार दिखे।


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