भावनात्मक संबंध ही है,
स्वस्थ और संतोषजनक रिश्ते की नींव।
जब हम साझा मूल्यों, व्यक्तित्व,
और भावनात्मक समझ को प्राथमिकता देते हैं,
तो हम ऐसे संबंध बना सकते हैं
जो केवल शारीरिक आकर्षण से कहीं बढ़कर होते हैं।
वह संबंध, जो दिलों और विचारों से जुड़ा होता है,
वही असल में स्थिर और गहरा होता है।
जब आत्मा और मस्तिष्क मिलते हैं,
तो कोई भी बाहरी आकर्षण उस गहरे जुड़ाव को नहीं तोड़ सकता।
इसी में असली प्यार है,
जहाँ दो लोग एक-दूसरे को केवल शारीरिक नहीं,
बल्कि भावनात्मक रूप से भी समझते हैं,
और एक दूसरे के अस्तित्व का सम्मान करते हैं।
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