क्षणिक हाथ शरीर को छू सकते हैं,
पर केवल एक दुर्लभ आत्मा
तेरे अस्तित्व तक पहुँचती है।
सच्ची अंतरंगता स्पर्श में नहीं होती—
यह समझ में होती है,
यह वह स्थान है जहाँ हम सतह से परे देखे जाते हैं।
सतही को गुजरने दो,
जो असली है, वही रहेगा,
वह आकर्षित नहीं होता बस इच्छाओं से,
वह गहराई से खींचा जाता है।
जब आत्मा एक-दूसरे को महसूस करती है,
तब प्रेम का असली रूप होता है,
जो कभी भी क्षणिक नहीं होता,
बल्कि हमेशा उस गहरी कनेक्शन में स्थिर रहता है।
No comments:
Post a Comment
Thanks