चाँद की रोशनी में
रात की खामोशी में
Muhammad bin Qasim and the Dawn of Muslim Conquest in India: Unveiling the Genesis of Ghazwa-e-Hind.
मन का आँगन
मन तुम्हारा मंदिर है,
Understanding the Historical Context of Muslim Invasions in India: Lessons from Ghazwa-e-Hind
Growth over illusion
हीलिंग की सच्चाई
हँसी
अब मैं खुद को नहीं खोऊँगा
मैंने बहुत कुछ सहा है,
टूट कर भी खुद को जोड़ा है,
अंधेरों से गुजर कर
एक रोशनी तक पहुँचा हूँ —
जो मेरी अपनी है।
तू एक ख़ूबसूरत सपना थी,
पर सपना ही तो थी,
हक़ीक़त से बहुत दूर,
और मेरी शांति की कीमत पर।
आज मैं ठीक हूँ —
ज़ख़्म भर चुके हैं,
आँखें अब धुंध से बाहर देखती हैं,
और दिल अब खुद से बातें करता है।
तेरी यादें अब बोझ नहीं,
पर मैं फिर से उस राह पे नहीं जाऊँगा
जहाँ मुझे खुद से दूर होना पड़े।
मैंने जो सीखा है,
वो ये है —
कि खुद से की गई सुलह
किसी भी अधूरे रिश्ते से बड़ी होती है।
इसलिए अब
मैं "हम" की उस कल्पना के लिए
"खुद के इस सच्चे संस्करण" को
दांव पर नहीं लगाऊँगा।
मैं तुझे चाहता था,
पर अब खुद से भी मोहब्बत है।
और जब सवाल आएगा
तेरे ख्वाबों या मेरी सच्चाई का —
तो मैं, अब हमेशा
खुद को ही चुनूँगा।
जीवन क्यों रुके?हर पल तुम्हें बुला रहा है
जीवन की पुकार, अभी सुन लो तुम
जीवन बुला रहा है, क्यों रुके हो अभी
जीवन पुकार रहा है हमें
जीवन की पुकार सुनो,
जीवन पुकार रहा है, अब क्यों ठहरें?
ज़िन्दगी बुला रही है...
जीवन क्यों रुके? हर पल आपको पुकारता है
क्यों ठहरें? जीवन पुकार रहा है – हर पल को अपनाओ।
जीवन बुला रहा है
"Understanding Ghazwa-e-Hind: Exploring Islamic Eschatology in the Context of India"
एक बार की बात
डोपामाइन भाग 3:
माया के पार की मित्रता
डोपामाइन भाग 2:
डोपामाइन
डोपामाइन क्या है? एक गहरी समझ
मैं जब पहली बार 'डोपामाइन' शब्द से परिचित हुआ, तो यह महज एक वैज्ञानिक शब्द लगा—जैसे कि कोई केमिकल जो दिमाग में होता है। लेकिन जैसे-जैसे मैंने इसकी गहराई में जाना, मुझे समझ आया कि यह न सिर्फ विज्ञान का विषय है, बल्कि जीवन की हर भावना, प्रेरणा और व्यवहार से जुड़ा हुआ एक अदृश्य धागा है।
डोपामाइन क्या है? डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, यानी एक ऐसा रासायनिक दूत जो दिमाग की कोशिकाओं के बीच संदेश पहुंचाता है। यह हमारे दिमाग के reward system का हिस्सा है—जब हम कोई अच्छा काम करते हैं, कुछ नया सीखते हैं, सेक्स करते हैं, मिठाई खाते हैं या सोशल मीडिया पर लाइक्स देखते हैं, तब यह रसायन रिलीज़ होता है और हमें अच्छा महसूस होता है।
डोपामाइन कैसे बनता है? डोपामाइन टायरोसिन नामक अमीनो एसिड से बनता है, जो हमारे भोजन से आता है। शरीर टायरोसिन को L-DOPA में बदलता है और फिर उसे डोपामाइन में। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से मस्तिष्क के एक हिस्से 'सबसटैंशिया नाइग्रा' और 'वेंट्रल टेगमेंटल एरिया' में होती है।
डोपामाइन का इतिहास और खोज डोपामाइन की खोज 1950 के दशक में हुई थी। वैज्ञानिक Arvid Carlsson ने इसे एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में स्थापित किया और इसके लिए उन्हें 2000 में नोबेल पुरस्कार मिला। इससे पहले माना जाता था कि डोपामाइन महज नॉरएपिनेफ्रिन (एक और रसायन) का पूर्व रूप है। लेकिन Carlsson ने यह दिखाया कि डोपामाइन का स्वतंत्र और महत्वपूर्ण कार्य है।
डोपामाइन का मनोविज्ञान (Psychology) हमारी इच्छा, प्रेरणा, निर्णय लेने की क्षमता, आनंद की अनुभूति—ये सब डोपामाइन से जुड़ी हुई हैं। जब किसी काम के बदले हमें इनाम मिलने की संभावना होती है, तब डोपामाइन सक्रिय हो जाता है। यह हमें प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।
लेकिन जब यह असंतुलित हो जाए—या तो बहुत ज्यादा या बहुत कम हो—तो यह मानसिक बीमारियों की वजह बन सकता है। जैसे:
- डोपामाइन की अधिकता: नशे की लत, गेमिंग या पोर्न की लत, स्किज़ोफ्रेनिया
- डोपामाइन की कमी: डिप्रेशन, पार्किंसन बीमारी, मोटिवेशन की कमी
डोपामाइन किन-किन चीज़ों से बढ़ता है?
- मिठाई या फास्ट फूड खाना
- सोशल मीडिया पर रील्स और लाइक्स
- वीडियो गेम्स, पोर्न
- ड्रग्स (कोकीन, निकोटीन, आदि)
- नई चीजें सीखना या सफल होना
- संगीत सुनना, प्रेम या सेक्स
- धूप में बैठना (विटामिन D)
- मेडिटेशन, योग, प्राणायाम
- कसरत (Exercise)
- किसी लक्ष्य को पूरा करना
डोपामाइन डिटॉक्स क्या है? डोपामाइन डिटॉक्स एक आधुनिक अवधारणा है जिसमें हम कुछ समय के लिए उन चीज़ों से दूर रहते हैं जो डोपामाइन का तीव्र रिलीज़ करती हैं—जैसे सोशल मीडिया, जंक फूड, गेमिंग। इसका उद्देश्य यह है कि हमारा दिमाग सामान्य स्तर पर डोपामाइन को अनुभव करना सीखे और छोटी-छोटी चीज़ों से भी संतोष और आनंद मिलने लगे।
क्या जानवरों में भी डोपामाइन होता है? हाँ, जानवरों में भी डोपामाइन होता है। चूहों, बंदरों, कुत्तों में हुए प्रयोगों से यह साबित हुआ है कि जब उन्हें इनाम दिया जाता है, तो उनके दिमाग में डोपामाइन रिलीज़ होता है। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली कि प्रेरणा और आनंद का यह रसायन सिर्फ इंसानों में नहीं, बल्कि अन्य प्राणियों में भी कार्य करता है।
डोपामाइन की माप और परीक्षण वैज्ञानिक डोपामाइन की माप माइक्रोडायलिसिस, PET स्कैन (Positron Emission Tomography), और ब्रेन इमेजिंग तकनीकों से करते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होती, लेकिन अनुसंधान के लिए बहुत कारगर है।
प्राचीन ग्रंथों में डोपामाइन? अब सवाल यह है कि क्या हमारे प्राचीन ग्रंथों में डोपामाइन का उल्लेख है? सीधे-सीधे नहीं, क्योंकि उस समय यह वैज्ञानिक भाषा नहीं थी। लेकिन अगर हम योग, आयुर्वेद और ध्यान के शास्त्रों को देखें, तो वहाँ 'प्रसन्नता', 'आनंद', 'चित्त की वृत्तियाँ', 'सत्त्व' जैसे भावों का वर्णन है। ध्यान और प्राणायाम से मिलने वाला आनंद, जिसे 'आध्यात्मिक सुख' कहा गया है—वह आधुनिक विज्ञान के अनुसार डोपामाइन और सेरोटोनिन के संतुलन से जुड़ा हो सकता है।
उदाहरण:
-
पतंजलि योग सूत्र में आता है: "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" — जब चित्त की वृत्तियाँ शांत होती हैं, तब आत्मा का साक्षात्कार होता है। विज्ञान की भाषा में कहें तो यह स्थिति न्यूरोट्रांसमीटर का संतुलन हो सकता है।
-
श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है: "युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु | युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ||" — संतुलित जीवन शैली, भोजन, निद्रा, जागरण—ये सब मस्तिष्क रसायनों को संतुलन में रखते हैं।
-
उपनिषदों में 'आनंदमय आत्मा' की बात होती है—जो कि निरंतर संतोष और शांतिपूर्ण स्थिति है। इसे डोपामाइन के स्थिर और प्राकृतिक प्रवाह से जोड़ा जा सकता है।
निष्कर्ष डोपामाइन कोई साधारण रसायन नहीं है। यह हमारी इच्छाओं, प्रेरणाओं, और हमारे जीवन के सुख-दुःख को प्रभावित करता है। अगर हम इसे समझ जाएं, तो हम अपनी आदतों, व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। न तो इसे दमन करना ज़रूरी है, न ही इसे भटकने देना—बल्कि इसे दिशा देना ज़रूरी है। यही आत्म-ज्ञान है, यही विज्ञान।
डोपामाइन को संतुलित रखने का मंत्र यह है:
- संयम + ध्यान + श्रम = संतुलन
यही पथ है भीतर की खुशी का।
Understanding Ghazwa-e-Hind: The Concept of Islamic Conquest in India
सबसे शांत युग: इतिहास और आत्मा की यात्रा
कभी तो तलाश ये पूरी होगी
Unpacking Ghazwa-e-Hind: Examining the Prophecy of Conflict in India.
खराब फैसले, शानदार कहानियां
मैंने चुनी है एक नई राह
Exploring the Contrasts Between Abrahamic and Non-Abrahamic Religions: Understanding the Dynamics of Aggression.
भूकंप: धरती की कराह और मानवता के लिए चेतावनी
-
यादों का गुब्बरा देखो ये फूट गया है उस गगन में जिस में हम खुद जाना चाहते थे मगर हम जा न पाए तो क्या हुआ हमारी निशानी उस मुक्त गगन में उड़...
-
भारत जितना बड़ा धार्मिक देश है उतने ही ज्यादा यहां धार्मिक स्थल है... और इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के द्धारा दान दिया जाता है जिसक...
-
I was born in the serene town of Ganehspur nestled in the mountains of Uttarkashi, Uttarakhand . My earliest memories are filled with the e...