जीवन पुकार रहा है, अब क्यों ठहरें?

जीवन पुकार रहा है, अब क्यों ठहरें?
हर पल को गले लगाएँ, हँसी को बाँहों में भरें।
क्यों सुख को टालें, क्यों हँसी में देर करें,
जो सच में हो, उसे ही जिएं और महसूस करें।

अभी है समय जीने का, यह पल खास है,
कल किसने देखा, आज ही विश्वास है।
वर्तमान में खोने का मज़ा, अनोखा और गहरा,
हर धड़कन में बसी है जीवन की एक नई लहर।

चमकता सूरज, बहती हवा, और खिलता फूल,
सब कुछ है प्यारा, सब कुछ है खुला और धूल।
तारे टिमटिमाते, चाँदनी छूने को आतुर,
जीवन के इस खेल में, क्यों हम हों दूर?

अपनी सच्चाई में झलके जो, वही सबसे सुंदर,
अपने आप को पाओ, बिखेरो वो खुशी का खंजर।
जीवन का हर क्षण एक दावत है, एक उत्सव,
अपने भीतर की रोशनी को उजागर करो सजीव।

जीवन है अब, जीवन है यहाँ,
इस पल में है सारा जहाँ।
पल-पल को जियो, हर लम्हा अपनाओ,
जीवन के इस आह्वान को सच में निभाओ।


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