"शांति की कीमत"
हीलिंग का मतलब
सिर्फ आगे बढ़ जाना नहीं होता,
वो हर उस ख़ामोश लम्हे में
उस आवाज़ से लड़ना होता है,
जो कहती है —
"शायद इस बार सब कुछ अलग होगा।"
पर नहीं...
कभी कुछ नहीं बदलता।
क्योंकि मेरा मन
तर्क नहीं समझता,
सिर्फ आदतें जानता है —
चाहे वो आदत
हर रात मुझे
टुकड़ों में तोड़ती क्यों न हो।
वो हर बार
उसी मोड़ पर ले जाता है,
जहाँ दर्द ही स्थिरता बन चुका था,
और आँसू,
बस नींद का एक हिस्सा।
क्योंकि भीतर का तंत्र
सच नहीं पहचानता,
सिर्फ "पहचाना" ढूंढता है —
चाहे वो
जहर से भी क्यों न भरा हो।
पर अब...
अब मैं उस आवाज़ को चुप कराना सीख रहा हूँ।
अब मैं
खुद से कहता हूँ —
"शांति आदत से नहीं,
सच से आती है।"
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