आधा मन, आधी जीत नहीं




कभी-कभी खुद से किए वादे टूट जाते हैं,
जोश के ज्वार, समय पर सूख जाते हैं।
आधा मन लगाकर, जीत कैसे मिलेगी?
जो आधा चले, वो मंज़िल से भटक ही जाएगी।

पर हर बार एक नई शुरुआत बनती है,
जो गिरता है, वही संभलने की बात करता है।
इस बार आधे मन को पूरी ताकत से भरना है,
जो अधूरा था, उसे अब पूरा करना है।

जब भी ढीला पड़े, ये याद दिलाना,
वो सपना, जो तुझे नींद से जगाता।
हर कदम में, हर सांस में, वो जुनून लाना,
इस बार कोई बहाना नहीं बनाना।

खुद से वादा, खुद का धर्म बना,
जो ठाना है, अब बस उसे ही करना।
फेल तो होंगे, पर अधूरे नहीं,
ये जिंदगी है, इसे खेल बनाना सही।

याद रखो, आधे दिल से कुछ नहीं जीतोगे,
पर पूरे मन से, दुनिया पलटोगे।


नया जोश, नई राह



इस बार मेहनत बेकार नहीं जाएगी,
हर कदम अब सोच-समझ कर उठाई जाएगी।
जुनून वही है, पर नजरिया नया,
अब हर प्रयास होगा थोड़ा और बढ़िया।

हार की चिंगारी, आग में बदलेंगी,
सपनों की चादर फिर से रंगेंगी।
काम करना है अब सिर्फ स्मार्ट,
हर पल होगा लक्ष्य के साथ।

झटकों ने सिखाया है आगे बढ़ना,
हर गलती ने दिखाया है सही करना।
अब न कोई बेमतलब की दौड़,
हर कदम पर होगा लक्ष्य का जोड़।

ध्यान, धैर्य, और दिशा के साथ,
इस बार बनानी है जीत की बात।
राह चाहे कठिन हो, मन को न डिगाना,
हर ठोकर को अपनी ताकत बनाना।

तो चलो, अब लगाएं ये नया पाठ,
सपनों को सच करना ही है बस हमारा साथ।
हर setback बनेगा comeback की वजह,
अब कोई कोशिश अधूरी न रहे, ये है वादा।


प्रेम- तंत्र ५



प्रेम ही तो है, असली सार,
जहाँ नहीं है वासना का भार।
जब दो दिल जुड़ें आत्मा के तार,
वहीं तंत्र होता साकार।

स्पर्श जहाँ बन जाए दैवीय गीत,
न हो कोई इच्छाओं की भीत।
संबंधों का हो निर्मल प्रवाह,
जहाँ केवल शुद्धता का वास।

यह मिलन नहीं है तन का खेल,
यह तो है आत्मा का मेल।
जहाँ प्रेम हो, वहाँ स्वर्ग है,
वासना से मुक्त, यही तंत्र का संग है।

जो समझे इस सत्य की बात,
पाएगा जीवन में अद्भुत सौगात।
प्रेम का यह शाश्वत रूप,
हर पल बनाए जीवन को अनूप।


Communism and Islam: A Challenge to Democratic Ideals



As a writer, I believe both communism and certain interpretations of Islam present challenges to democracy, acting as ideologies that, in their more authoritarian forms, can undermine democratic values and individual freedoms.

Democracy, as a political system, prioritizes freedom, political participation, and the rights of individuals. However, both communism and Islam—as political ideologies, rather than purely philosophical or religious ones—have historically displayed features that, in certain contexts, clash with democratic values. Below, I explore how these ideologies have often led to authoritarian rule, using real-world examples to show the ways in which these systems can erode democratic principles.

Communism and Democracy: A History of Tension

Communism, as envisioned by Karl Marx and Friedrich Engels, sought to abolish social classes and establish a communal system where wealth and resources are shared. While the goals of equality and social justice resonate with democratic ideals, the reality of communist governance often tells a different story. In practice, communism has frequently resulted in authoritarianism, where state control and suppression of individual freedoms dominate.

Examples in Real Life

The Soviet Union: Under leaders like Joseph Stalin, the USSR sought to create a classless society, yet this quest led to some of the harshest restrictions on freedom in modern history. Political dissent was punishable by imprisonment or worse, and the state’s control over the press, education, and the economy suppressed free thought and participation. Democracy, as understood in the Western sense, could not exist in such a tightly controlled environment.

China: Although it has evolved economically, China under the Communist Party continues to restrict individual freedoms. Political opposition is tightly controlled, as seen in Hong Kong’s recent protests for democratic rights. The Chinese government’s surveillance apparatus and censorship systems, such as the “Great Firewall,” keep citizens in line with party ideologies, severely limiting freedom of expression—a cornerstone of democracy.


While some democratic nations, like Sweden, have embraced socialistic policies to promote welfare and equality, these are markedly different from strict communism, as they still prioritize individual freedoms and democratic governance.

Islam and Democracy: A Complex Relationship

Islam, practiced by over a billion people worldwide, is deeply diverse. As a spiritual faith, Islam promotes justice, charity, and community welfare, values that align well with democratic ideals. However, political Islam, when intertwined with governance, can sometimes lead to systems where religious laws are prioritized over democratic freedoms. This challenge to democracy is particularly visible in countries where Islamic law (Sharia) is strictly enforced.

Examples in Real Life

Saudi Arabia: This country enforces strict interpretations of Islamic law, where democratic rights, especially regarding freedom of speech and women’s rights, are limited. The kingdom remains an absolute monarchy where citizens have little say in governance. Religious laws, rather than democratic principles, guide the nation's political and legal systems, with little room for political pluralism or public dissent.

Iran: Since the 1979 revolution, Iran has operated as an Islamic Republic, where the Supreme Leader—a religious figure—holds significant power over the elected president and parliament. The government enforces Sharia-based laws, and political candidates are often pre-approved by religious authorities, limiting genuine democratic choice. Citizens protesting for freedom face serious crackdowns, as seen in the 2009 Green Movement and the recent Mahsa Amini protests.


Nonetheless, some Muslim-majority countries, like Indonesia and Tunisia, have successfully integrated democratic systems while preserving aspects of their Islamic identity. These examples demonstrate that democracy and Islam can coexist when moderate interpretations allow for secular governance or the safeguarding of individual rights.

The Cancerous Effect on Democracy

Communism and political Islam, in their authoritarian forms, act as “cancers” on democracy, eroding the foundational principles of individual freedom, political diversity, and public accountability. Both ideologies, when applied strictly, lead to centralization of power, censorship, and an erosion of personal freedoms. By prioritizing state or religious control over democratic ideals, these systems limit the potential for a government “by the people, for the people.”


In conclusion, while communism and Islam carry ideals of equality, justice, and welfare that could theoretically align with democracy, history shows that, in practice, their authoritarian applications often result in restrictive governance. The examples of the Soviet Union, China, Saudi Arabia, and Iran illustrate how these ideologies, when strictly applied, undermine democratic freedoms and centralize power. For democracies to truly flourish, systems of government must protect individual rights, allow for political pluralism, and support free expression—values that are often compromised under strict communist or Islamic governance.


प्रेम और तंत्र ४



प्रेम है सत्य, प्रेम है पावन,
जहां देह का बंधन बन जाए सावन।
जहां स्पर्श हो, पर कोई लालसा नहीं,
बस एक दिव्यता, जो छुपाई जाए कहीं।

तंत्र यही सिखाता, यह दिव्य अनुभूति,
जहां आत्मा का मिलन, देह की पार्श्व गूंजती।
ना वासना, ना कोई कामना हो,
बस शुद्ध प्रेम का प्रवाह बहता हो।

देह नहीं, मन का होता मेल,
प्रेम की भाषा में जुड़ते हैं खेल।
तंत्र तो है बस प्रेम की सीख,
जहां हर स्पर्श में हो आत्मा की वीथ।

सच्चा प्रेम, जहां भौतिकता न ठहरे,
दिलों के संगम में हर ख्वाब बिखरे।
यही तो है प्रेम का असली सार,
तंत्र में छुपा, एक दिव्य संसार।


प्रेम - तंत्र ३



प्रेम ही है असली जीवन की गाथा,
जहाँ तन और मन बन जाए एक साथा।
कामना जब शून्य में खो जाती है,
तब आत्मा की गहराई जाग जाती है।

संगम हो जहां बिना वासना के,
हर स्पर्श बन जाए ध्यान का ध्येय।
जिसमें हो शुद्धता और दिव्यता,
वहीं तंत्र की सच्ची महिमा।

प्रेम नहीं सीमित शब्दों में,
वह तो है अमर, हर स्पंदन में।
जहाँ भावनाएँ हों स्वच्छ और निर्मल,
वहीं प्रकट होता है प्रेम का असल।

तंत्र नहीं केवल यौगिक साधना,
यह तो है आत्मा की भावना।
जहाँ प्रेम हो केवल प्रेम,
वहीं खिलता है जीवन का सेम।


प्रेम तंत्र २



प्रेम ही सच्चाई है, प्रेम ही है दीप,
जहां कामुकता छूटे, वहां तन-मन का सुकून मिलीप।

तंत्र की यह राह, शुद्धता का आह्वान,
जहां देह मात्र माध्यम हो, और आत्मा बने प्रधान।

न स्पर्श में वासना, न दृष्टि में लालसा,
यह वह दिव्यता है, जहां तृप्ति बने परिभाषा।

प्रेम की गहराई में, आत्माओं का मिलन,
शुद्ध, पवित्र, अनछुआ, यह है तंत्र का दर्शन।

जैसे पुष्प की गंध, वायु में घुल जाए,
वैसे ही प्रेम का सार, तंत्र में लहराए।

तोड़ दे हर बंधन, देह का मोह,
तब ही होगा संभव, तंत्र का सच्चा बोध।


प्रेम - तंत्र



प्रेम ही असली सार है,
जीवन का यह उपहार है।
जब स्पर्श बिना वासना के हो,
आत्मा का मिलन, यह आधार है।

तन से परे, मन के पास,
जहाँ न हो कोई आस।
सिर्फ शुद्ध भाव का संगम,
यही तो तंत्र का विलास।

वासना से परे जो जाए,
उससे दिव्यता झलक जाए।
जहाँ प्रेम ही पूजा बन जाए,
तंत्र वहीं जीवन महकाए।

सांसों में बहती मधुर धारा,
दिल को छू जाए हर किनारा।
प्रेम जब हो शुद्ध और गहरा,
यही तंत्र का सच्चा सहारा।


बounce back का खेल



गिरा था जोर से, धूल में समा गया,
फेल का तमाचा था, पूरा लहराया।
पर मन में आया, एक बात बड़ी खास,
"अबकी बार, भाई, नहीं करनी कोई बकवास!"

रुथलेस होकर चल, न आधा-अधूरा काम,
जो भी करना है, करना होगा पूरे दाम।
चाहे सामने हो पहाड़, या हो समंदर,
इस बार तोड़ देंगे हर पुराना पिंजर।

कहानी का हीरो हूं, कोई बैकग्राउंड नहीं,
खुद का विलेन भी हूं, पर स्क्रिप्ट है मेरी सही।
गोल्स हैं बड़े, पर हौसला उससे बड़ा,
इस बार न रुकूंगा, चाहे कितनी हो सजा।

प्लानिंग हो पक्की, और फोकस हो तीखा,
कहीं दिखे आलस, तो मारूं उसे चीखा।
न खैर मांगू, न राहत का सहारा,
खुद का द्रोणाचार्य हूं, खुद से ही सारा।

गिरा था तो क्या, अब खड़ा हो रहा हूं,
हवा के खिलाफ, एक तूफान बन रहा हूं।
रुथलेस होना, यही मंत्र है मेरा,
आधा-अधूरा काम अब लगेगा फेरा।

तो दोस्तों, सीख लो इस कविता से बात,
फेल से डरो मत, ये है जीत का प्रजात।
गिरो, उठो, और फिर बनो शानदार,
इस बार बनो वो जो कहे, "वेल डन, सरदार!"


समय का पहिया चलता रहे,

समय का पहिया चलता रहे,
डेडलाइन्स की जंजीर में बंधा रहे।
काम का बोझ बढ़ता जाता,
हौंसला मगर कम न हो पाता।

समय की सुई आगे बढ़े,
मन की उम्मीदें हर रोज चढ़े।
दिन-रात की मेहनत रंग लाए,
डेडलाइन्स की राह में न थक जाए।

अवसर के दीप जलाते रहो,
सपनों की उड़ान भरते रहो।
मुश्किलें आएं, हौंसले बढ़ाएं,
डेडलाइन्स की जंग हम जीत जाएं।

हर पल का मोल समझो,
हर क्षण को सहेजते रहो।
समय की कद्र करना सीखो,
डेडलाइन्स को पूरा करना मानो।

फिर से उठ, बन शिकारी!


गिरा था, तो क्या हुआ?
आसमान भी कभी झुका?
ये जो जिद है, तेरी पहचान,
हिम्मत के संग बढ़ा तू इंसान।

पिछली बार जो हुआ अधूरा,
इस बार हो मुकाम पूरा।
आधे मन से काम नहीं,
अब दांव पे सबकुछ सही।

सोच, जो तू छोड़ेगा,
दुनिया कैसे तोड़ेगा?
हंसी में तेरा नाम हो,
मंज़िल तेरा गुलाम हो।

"रूठा है समय तो क्या,
फिर से बुलाएगा ये, बना सवेरा नया।"
कदम बढ़ा, बन तू निडर,
राह रोक सके न कोई पत्थर।

जोश ऐसा, जैसे तूफान,
बचने का दे न किसी को सामान।
मस्त चाल, आंखों में शेर,
अबकी बार खुदा भी तेरा फेर।

तो चल, मत देख पीछे,
आसमान को बना अपना नीचे।
इस बार जो ताने सुने,
उनको बना जीत के गहने।

रुकना नहीं, झुकना नहीं,
तूफानों से अब चूकना नहीं।
फिर से उठ, बन शिकारी,
तेरा नाम हो कहानी सारी।


डेडलाइन की रेस

डेडलाइन की रेस

डेडलाइन की रेस में हम सब भाग रहे हैं,
समय की हर इक बूंद को हम निचोड़ रहे हैं।

कागजों पर चल रही कलम की रफ्तार,
जैसे कोई धावक हो, दौड़ता बेजार।

सपनों के सागर में हम तैरते हैं,
लेकिन डेडलाइन के खंजर से घबराते हैं।

हर पल की गिनती में धड़कनें तेज होती हैं,
काम की चिंताओं में रातें भी खोती हैं।

दिमाग की गलियों में विचारों का शोर,
डेडलाइन के आगे सब कुछ लगता है कठोर।

लेकिन जब मंज़िल का होता है दीदार,
मेहनत का हर लम्हा लगता है बेकार।

क्योंकि डेडलाइन की रेस में जीत वही पाता है,
जो धैर्य और हिम्मत से, हर बाधा को मात दे जाता है।

समय की रफ्तार में बंधे,

समय की रफ्तार में बंधे,  
हम हर पल की दौड़ में,  
मिलते हैं मंजिल के करीब,  
जब सीमाएं बुनते हैं।

कागज़ पर लकीरें खींची,  
सपनों को सच करना है,  
डेडलाइन का पहरा सख्त,  
काम को पूरा करना है।

रातों की नींदें छीन लेती,  
जिंदगी की चाल को,  
पर मेहनत का फल मीठा,  
सजाता है जीवन के हाल को।

संग्राम में जुटे हम,  
लक्ष्य के संग्राम में,  
हर पल की क़ीमत समझते,  
समय के इस आयाम में।

डेडलाइन की डोर थामे,  
हम बढ़ते निरंतर हैं,  
हार न माने कभी,  
जीत की रचना करते हैं।

समय को साधना सीखते,  
जीवन को सफल बनाते,  
डेडलाइन की कसौटी पर,  
अपने सपनों को सजाते।

माया

ज्ञान का पराकाष्ट अंधकार को भगाता है, और सूर्य की किरणें हमें माया की असलीता को समझने की दिशा में अग्रसर करती हैं। सूरज की उजियार ने हमें दिखाया कि वास्तविक सुख और संतोष केवल बाहरी विश्व में नहीं मिलते, बल्कि वे हमारे अंतर के आत्मा के आध्यात्मिक आगे हैं। जैसे कि सूर्य की प्रकाश अंधकार को दूर करता है, वैसे ही स्वयं के अंधकार को दूर करके हम असली खुशियों का अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, पारकाष्ट ज्ञान हमें माया की वास्तविकता के प्रति जागरूक करता है, हमें अंतर्निहित सत्य की ओर ले जाता है, और हमें आत्मा के अद्वितीय आनंद की खोज में अग्रसर करता है।

Where we are today

The past teaches us valuable lessons that we can learn from and use to grow and improve. It helps us understand who we are, where we come from, and how we got to where we are today.

The present is a gift because it is the only moment that is truly ours. We have the power to shape our present by making conscious choices and taking action. It's a chance to enjoy life, appreciate the beauty around us, and connect with others.

The future is our motivation because it gives us something to strive for. It's a chance to pursue our dreams, set goals, and work towards a better tomorrow. It's a reminder that our actions today can have a significant impact on our future, and that we have the power to shape our own destiny.
 The past is our teacher, the present is our gift, and the future is our motivation. By learning from the past, enjoying the present, and working towards a better future, we can lead fulfilling and purposeful lives.

Additionally, the past can also serve as a source of inspiration and guidance. We can learn from the mistakes and successes of those who came before us, and use that knowledge to make better decisions in the present.

The present is also a time for reflection and introspection. By being mindful and present in the moment, we can gain a deeper understanding of ourselves and our place in the world.

The future is not just a destination, but a journey that we create through our actions and choices. By setting goals and working towards them, we can shape our own futures and create a better tomorrow for ourselves and others.

In short, the past, present, and future are all interconnected and play important roles in shaping our lives. By embracing all three, we can lead fulfilling and purposeful lives that are rich in meaning and impact.


लेखन से दूरी का जादू



मैंने जाना,
कभी-कभी खुद को लेखन से अलग करना,
लेखन को और बेहतर बनाता है।
शब्दों के शोर से दूर जाकर,
खामोशी में नया अर्थ मिल जाता है।

पहले मैं हर बात को एक ही तरह से लिखता था,
हर नोट, हर विचार जैसे बंधा हुआ था।
अब मैंने तरीका बदला है,
और लगता है, ये बदलाव मेरे हक में है।

स्क्रिप्ट पढ़ता हूं,
हर शब्द के साथ बहता हूं।
विशिष्ट नोट्स लिखता हूं पहले,
सामान्य विचारों को छोड़ देता हूं पीछे।

जब सब कुछ लिख चुका होता हूं,
एक लंबी सैर पर निकल पड़ता हूं।
उस चलने की लय में,
वो स्पष्टता आती है, जिसकी तलाश थी।

हर कदम जैसे नया रास्ता दिखाता है,
हर सांस में सोच साफ़ हो जाती है।
फिर लौटकर,
मैं अपने विचारों को सही स्वरूप देता हूं।

यह दूरी नहीं,
यह एक तैयारी है।
जो मेरे लेखन को
और अधिक गहराई देती है।


समय की सीमा पर खड़ा, एक कवि सोच रहा था

समय की सीमा पर खड़ा, एक कवि सोच रहा था,
काम की दुनिया में, कहाँ सपनों का ठिकाना था।

सपनों की स्याही से लिखना चाहता था कुछ खास,
पर समय की सुइयों ने बाँध दिया उसे, जैसे कोई प्यास।

डेडलाइन की आवाज़ें कानों में गूंज रही थीं,
मन की गहराइयों में इच्छाएँ टूट रही थीं।

वक़्त का पहिया घूमता रहा, दिन और रात,
कवि की लेखनी में बंधी रही, काम की बात।

पर दिल के कोने में एक आस जगी,
कि कभी समय मिलेगा, बिना किसी घड़ी की बंदिशों के।

तब वो लिखेगा, अपनी रूह की स्याही से,
खुलकर, बिना किसी हड़बड़ी के।

समय की सीमाएँ तोड़, वो पाएगा खुद को,
एक नए सवेरे में, जहाँ कोई डेडलाइन ना हो।

समय की दौड़

समय की दौड़ में, हम सब भागते,
मुकाम पाने को, मंजिल को ताकते।
हर पल एक चुनौती, हर क्षण एक मीत,
समय सीमा की चिंता, न हार मानते हम जीत।

घड़ी की सुइयां कहती, तेजी से बढ़ो,
मंजिल दूर नहीं, मेहनत से चढ़ो।
चुनौतियों का सामना, आत्मविश्वास के संग,
समय की सीमा में, कार्य पूरे हर रंग।

जब समय की रेखा पास आए, मन में हो अटल विश्वास,
न डर, न घबराहट, बस हो मेहनत का आस।
समय की सजीवता में, हम खुद को ढालें,
हर समय सीमा को, हँसते-हँसते टालें।

काम का जुनून हो, दिल में उमंग,
समय की सीमा को, समझें हम संग।
हर दिन, हर रात, लगे रहें प्रयास,
समय सीमा की बाधा, हो जाए हमारे पास।

तो आओ, मिलकर संकल्प लें,
समय की सीमा में, कार्य पूरे करें।
हर लक्ष्य को पाए, हर मंजिल को जीते,
समय सीमा का पालन, हमारा मीत बने।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...