अंधकार और प्रकाश का खेल


अंधेरों से ना डर, तुझे राह दिखाएँगे,
तेरे भीतर के तूफान, तुझसे ही सुलझाएँगे।
आसमान की ऊँचाइयों में जो छिपा है तेरे लिए,
वो तभी मिलेगा, जब तू गहराइयों में खो जाएगा।

अंधकार भी तू है, उजाला भी तेरा है,
ये द्वैत नहीं, बस जीवन का पहरा है।
हर आँसू में छिपी है तेरी जीत की कहानी,
हर घाव से निकलेगी रौशनी की जवानी।

तू चल बिना डर, सत्य के पथ पर आगे,
प्रामाणिकता ही होगी तेरी सबसे प्यारी साधे।
तू वही है जो अंधेरे को चीरकर निकलेगा,
प्रकाश का दीपक बन, सारी दुनिया को बदलेगा।

अल्केमी की ये यात्रा, तेरे दिल का है शुद्धिकरण,
आत्मा का संतुलन ही है तेरा सच्चा आत्मज्ञान।
तो रो, छोड़ और प्रेम कर अपने हर हिस्से को,
तू है सम्पूर्ण, बस स्वीकार कर इस सच्चाई को।

तू अंधकार है, तू ही है रौशनी,
तू ही है सृजन और तू ही है समाप्ति।
संतुलन के इस खेल में, तू है वो खिलाड़ी,
जो अपने पथ पर बिना डर के बढ़ेगा,
सत्य और प्रेम की यही कहानी।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...