घर की चादर सुहानी,

घर की चादर सुहानी, रात की ठंडी हवा,
अंधेरे की चादनी, सपनों का सवेरा।
जहाँ बाहर की धूप में, जलती हैं तपिश,
वहाँ घर की छाँव में, मिलती हैं राहतें निश्छित।

बाहर की भीड़-भाड़, अपने ही घर में है शांति,
पर बाहर के सफर में, मिलता है संवाद।
घर की गलियों में, बसी हैं यादें अनमोल,
और बाहर की खोज में, हैं सपनों के खेल में जोशिल।

घर की मीठी बातें, अपने ही दिल को भाती,
बाहर की दुनिया में, हैं नये सपने साथी।
जहाँ बाहर की रौशनी में, हैं अलग मिज़ाज,
वहाँ घर की अंधेरी छाँव में, हैं खुशियों के साज।

घर से बाहर, और बाहर से घर,
दोनों में हैं अपनापन के नजर।
कहानी बातें यहाँ, बातें वहाँ,
जीवन का हर सफर, है एक अद्भुत कहानी का पार।

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