प्रकृति की गोदी में

पहाड़ों की ऊँचाई, सांसों की गहराई,
मेरी दुनिया बसी है, पहाड़ों के बीच।
संगीन पत्थरों की छाया, खुद से मुलाकात,
हर चोटी पर, एक नई कहानी, एक नया सफ़र।

प्रकृति की गोदी में, मन का संगम,
ध्यान की धारा में, अनंत का समाम।
सुख की छाँव, संघर्ष की धूप,
पहाड़ों के बीच, जीवन का अनूप।

संगीन रंगों में खोज, एक अनजान मंज़िल,
पहाड़ों के बीच, है सुकून की झिलमिल।
हर चट्टान की कश्ती, हर बारिश की बूँद,
मेरी दुनिया पहाड़ों के बीच, जीने की अनोखी उमंग।

सर्दी में गर्मी, गर्मी में सर्दी,

सर्दी में गर्मी, गर्मी में ठंड,
यह वातावरण का खेल है अजब।
किसी को न जाने क्या हो रहा है,
मन में है गड़बड़, अँधेरे का संभाव।

पर्वतों पे बर्फ, घाटियों में धूप,
कहाँ से आई यह असमंजस की धूप।
कुछ अनोखी है यह वातावरण की कहानी,
समझ न पाए कोई, इसकी रहस्यमय निधानी।

सर्दी में गर्मी, गर्मी में सर्दी,
है यह वातावरण का चक्रवात।
मन में चिंता, है बेरोक़, आक्रोश,
कुछ ना समझ में आता, है यह विचार-विचार का संघर्ष।

परंपराओं का मिलन, आधुनिकता की प्रेरणा,
यह वातावरण का संगम, है विचार-विचार की अवधारणा।
कुछ नया, कुछ पुराना, यह वातावरण की रचना,
है इसमें सभी की भावनाओं की संगीतमय वाणी।

सर्दी में गर्मी, गर्मी में सर्दी,
है यह वातावरण का रहस्यमय खेल।
जीवन की अनजानी राहों में,
है यह वातावरण की अद्भुत कहानी का खेल।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...