धरती की गोद में बसा है परमात्मा का वास,

पंछियों की गुंज, तितलियों का खेल,
नदियों की लहरें, झरनों का रस।
हवाओं की सरगम, खेतों की हरियाली,
खलियानों की सुगंध, चीड़ के पेड़ों का संगीत।

नागों की भव्यता, देवताओं की शान,
हर रूप में छुपी है प्रकृति की कहानी,
एक संगम है यहाँ, विविधता की भाषा,
समृद्धि का निर्माण, प्रेम की आवाज।

बगीचे का मधुर सपना, मेंढ़की का रोमांस,
अंतरिक्ष की अनंतता, भूमि का प्रेम।
यहाँ हर कोने में है जीवन का उत्सव,
प्रकृति की महिमा, विचारों की उस्ताद।

धरती की गोद में बसा है परमात्मा का वास,
हर एक प्राणी में छिपी है उसकी खासियत।
सम्पूर्णता का अनुभव, अनंतता की भावना,
यही है प्रकृति की अद्वितीय सौंदर्य की कहानी का सार।

विश्वास की विश्वसनीयता।

पंछियों की खुशबू से महकता है आसमां,
तितलियों की चमक से सजता है वतन।

नदियों की लहरों में बसता है जीवन का सार,
झरनों की धारा से चमकता है प्यार।

हवाओं की लहरों में लिपटा है सपना,
खेतों की हरियाली से भरता है अपना।

खलियानों का सुकून, चीड़ के पेड़ों का साथ,
नागों की भक्ति से अलग होता है यह राह।

देवताओं की कृपा से भर जाता है जीवन,
इन सबके मध्य में छिपा है साक्षात्कार का ज्ञान।

जगत का संगम, प्रकृति की सौंदर्य सजीवता,
यही है उस अमृत की खोज, जो हमें देता है विश्वास की विश्वसनीयता।

घर की शांति

एक दिन का सफर, एक रात का ठिकाना,
घर से बाहर, या घर में, हर मन का अपना मन्ज़िल अना।

सड़कों की धूल, या घर की शांति,
दोनों हैं अनमोल, हर रोज़ की ये कहानी।

चलना है बाजार, या बैठना छत पर,
हर पल में भरी, है अलग अलग 
ये रंगतरंग जीवन की धरती पर।

परंतु जब छूट जाए घर की मिठास,
तो बस एक चाहत होती है, वहाँ वापस।

घर हो या दुनिया की सैर,
सुखी हूं तभी, जब हूं घर में तुम्हारे बीच।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...