सीखते हुए, मैं आगे बढ़ रहा हूँ,

पहाड़ों से निकला, मैं अनजान सफर में,
कुछ नया सीखते हुए, अपने आप से लड़ते हुए।
सब कुछ बदल गया, पर मैं न कुछ बदला,
या शायद बदल रहा हूँ, इस नए दौर में बना।

नए लोग, नए दोस्त, नए सपने हर और,
पर कहीं भी, मैं खुद को पहचानता हूँ।
नए खान, नए सोने की चाह में,
मैं खुद को खोते हुए, अपने सपनों के बड़े सपने।

कुछ नया सीखते हुए, मैं आगे बढ़ रहा हूँ,
विश्वास अपने आप पर, धीरे-धीरे बढ़ता हूँ।
कुछ करने की चाह, कुछ बनने की लालसा,
जीवन के सफर में, खुद को पाने की उम्मीद सहसा।

बड़ा कुछ करने का सपना, हृदय में जलता है,
नए रास्तों पे चलते हुए, अपने सपनों का पूरा करता है।
नए होने का ख्वाब, पुराने हौसले के साथ,
मैं आगे बढ़ता हूँ, हर दिन, नई राहों की खोज में निकलता हूँ।

No comments:

Post a Comment

Thanks

अखंड, अचल, अजेय वही

अखंड है, अचल है, अजेय वही, जिसे न झुका सके कोई शक्ति कभी। माया की मोहिनी भी हारती है, वेदों की सीमा वहाँ रुक जाती है। जो अनादि है, अनंत है, ...