चल पड़े हैं नहीं राहों में, अंधेरी राहों में,

चल पड़े हैं नहीं राहों में, अंधेरी राहों में,
रात के मुसाफिर हम, रात भर जाते हैं।

सोते हैं ना, जाते हैं, हर पल उधम मचाते हैं,
हो क्या गया है हमने, कुछ भी कहो, नया जिंदगी है नहीं।

रहा है नहीं, चाहा है सब कुछ, नया है,
बस कहीं एक पुराना हूं, जिसे नया करना है।

लेकिन इतना भी नया नहीं, जिस मैं हूं, मेरी जड़ना खत्म हो जाए,
बस इसी तरह चल रहा है, यह सर्दी शुरू हो गई है।

नया सफर है नहीं, बस दर्द राहों में हम कट रहे हैं,
इन सब पर, यह कविता है, हमारी रूह की आवाज़।

चल पड़े हैं, अंधेरी राहों में,

चल पड़े हैं, अंधेरी राहों में,
रात के मुसाफिर, हम, न जाते हैं।

हर पल उधम मचाते हैं, हो क्या गया है हमने,
नया जिंदगी है, नहीं रहा है, नया संवेदन।

चाहा है सब कुछ नया, बस एक पुराना हूं मैं,
जिसे खुद को नया करना है, लेकिन इतना भी नया नहीं।

यह सर्दी शुरू हो गई है, दर्द राहों में हम कट रहे हैं,
नई सफर है, बस दर्द राहों में, इस अंधेरे में हम पल-पल कट रहे हैं।

बस, यही है जिंदगी की सच्चाई, इस अंधेरे के बावजूद,
हम आगे बढ़ते हैं, हर दर्द के साथ, हर मुश्किल के साथ, नई राहों में।

चल पड़े हैं, नहीं राहों में, अंधेरी रातों में,

चल पड़े हैं, नहीं राहों में, अंधेरी रातों में,
रात के मुसाफिर हम, जाते हैं, सोते हैं, ना जाते हैं।

हर पल उधम मचाते हैं, चाहे कुछ भी हो,
नई जिंदगी की राह में, चलते हैं, दर्दों को साथ लेकर हो।

कुछ गया है, लेकिन कुछ भी नया नहीं,
चाहा है सब कुछ, लेकिन कुछ भी नया नहीं।

पुराने हूं, लेकिन नया करना चाहता हूं,
अपनी जड़ों को नए पर्वतों पर ले जाना चाहता हूं।

सर्दी शुरू हो गई है, दर्द राहों में हम कट रहे हैं,
नए सफर की धारा में, अपनी मंजिल की खोज में हैं हम।

अंधेरी रातों में, चलते हैं, हाथों में दीपक लेकर,
नई उम्मीदों की आस, साथ लेकर, दर्दों को झेलते हैं हम।

चल पड़े हैं, नयी राहों में,

चल पड़े हैं, नयी राहों में, अंधेरी राहों में,
रात के मुसाफिर हम, जाते हैं सोते हैं ना जाते हैं।

हर पल उधम मचाते हैं, हो क्या गया है हमने,
लेकिन कुछ भी कहो, नया जिंदगी है नहीं रहा है।

नई सर्दी की ठंड, नया सफर, नहीं रहा है बस,
दर्द राहों में हम, कट रहे हैं, इन सब में बस।

जड़ना खत्म हो जाए, बस इसी तरह, चल रहा है,
नया और पुराना, एक साथ, इस जीवन का संगम बन रहा है।

ये बहुत ही बढ़िया है, ये संगम इस जीवन का,
अंधेरे में भी उजाला, हर रात, हर पल, हर वक्त का।

हमारी अद्वितीय कहानी की धार।

प्यार की कहानी, दीपक और दीप्ति की,
हमें नहीं पता, पर हमें हो गया ये रिश्ता साथी।

रात भर बातें, हाँसी, गुफ्तगू और खुशियों की बौछार,
हम दोनों के बीच, है साथ एक-दूजे का प्यार।

हॉस्टल की बालकनी में, उससे बात करते हैं हम,
जीवन की सबसे अद्भुत कहानी, लेकर उसके साथ कोमल गम।

सपने देखते हैं, भविष्य के साथी होने के,
धुंएं में रातें गुजारती, साथ बिताते हुए साथी के।

उसकी बातों में जादू, हर पल, हर क्षण,
दिन रात बातें करते हैं, हर दिन एक नया आनंद भर जाता है हमारे मन।

दीपक दीप्ति की कहानी, खुशियों का सफर,
प्यार की गाथा, हमेशा बनी रहे, यही है हमारी अद्वितीय कहानी की धार।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...