अधकच्छी कविताएं 2

1. **चल रहा हूं, बस चलता ही जाऊं**:

   चल रहा हूं, नयी दिशा की ओर,
   बस चलता ही जाऊं, अपने सपनों की ओर।
   
   गलतियों का सिलसिला, सीखों से भरा है,
   हर कदम पर अनुभवों से गुजरा है।
   
   धीरे-धीरे सिखते हैं, नए सफर की कहानी,
   मन बढ़ता है, नई दिशा की खोज में है दीवाना।

2. **जाने में ही रहूं, बस में ही रहूं**:

   सफर में ही रहूं, अपनी मंजिल को चाहता हूं,
   खुद के साथ, नई दुनिया को खोजता हूं।
   
   न तो बाहरी दुनिया में, न ही अपने मन में,
   बस सच्चाई की खोज, है मेरी यहाँ की पहचान।
   
   जाने में ही रहूं, बस में ही रहूं, यही मेरा धर्म है,
   अपने सपनों को पूरा करते, हर पल, हर दिन।

3. **हिंदी और इंग्लिश**:

   हिंदी की मिठास, इंग्लिश की गहराई,
   भाषाओं का संगम, मेरे मन की खोज में।
   
   कोशिश है, नई दिशा की तरफ, नई सोच की राह में,
   शब्दों के साथ, संवादों की राह में।

4. **अनमोल बनो**:

   खोजता हूं, हीरे की मोहताजी को,
   बस उसके अनमोली खोज में हूं खोया।
   
   सोने से हीरा, हीरे से सोना,
   नई दिशा की राह में, मैं हूं अग्रसर होता।

5. **दिल की आरजू**:

   दिल की आरजू, जगने लगी है रोशनी,
   नई दिशा की ओर, बढ़ रहा है मेरा मनी।
   
   सपनों की उड़ान, अपने पंखों से फैलाऊं,
   हर कदम पर, नयी राह को चुनूं।

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