प्रेरणा और मनाने की कला


जो नौकरी नहीं मिली, वो मेरा नहीं था,
पर मैं फिर भी खड़ा हूं, क्योंकि रास्ता आसान नहीं था।
अगर समझ सको, तो जीवन वही नहीं जो दिखता है,
कभी हर नॉक की बजाय, खुद को धैर्य से समझा लिया है।

मनाना तो एक कला है, इसे सीखना जरूरी है,
पर खुद पर विश्वास रखना, यही सबसे पहली बात है।
जो विश्वास रखता है, वो अपने शब्दों से जीतता है,
दूसरे का दिल जीतने के लिए, पहले खुद को जीतता है।

तुम्हारी शक्ति नहीं सिर्फ तुम्हारे ज्ञान में है,
बल्कि उसे ऐसे पेश करने में है, जिससे हर कोई प्रेरित हो।
सीखो कैसे कहना, और क्या कहना,
क्योंकि शब्दों में है वो ताकत जो सबको बदल सकती है।

मनाने की कला सीखो, दिल से बात करो,
तुम्हारी आवाज़ में वो ताकत है जो सबको अपनी ओर खींचे।


No comments:

Post a Comment

Thanks

विचारों की अंतरंगता

मैं मानता हूँ, शारीरिक मिलन सबसे गहन नहीं होता, सबसे गहरा होता है संवाद, जहाँ शब्द नहीं, आत्माएँ मिलती हैं। यदि मैं तुम्हें अपना शरीर दूँ, त...