खुद को नकारता नहीं



मैं खुद को कभी नहीं ठुकराता,
मौकों को खुद फैसला करने देता हूँ।
अपनी कमी का बहाना नहीं बनाता,
हर आवेदन में भरोसे की बुनियाद रखता हूँ।

जो दिखता है, उससे कहीं आगे बढ़ सकता हूँ,
हर दरवाजा खोलने का साहस रखता हूँ।
कौन जानता है, कौन सा मौका खास हो,
नया रास्ता, नई पहचान का एहसास हो।

खुद पर यकीन मेरा सबसे बड़ा हथियार है,
हर प्रयास मेरे जीवन का उपहार है।
मैं गिरता हूँ, सीखता हूँ, और फिर उठता हूँ,
हर बार खुद में नया उत्साह भरता हूँ।

मौकों को अपनाता हूँ,
खुद पर यकीन के साथ आगे बढ़ता हूँ।


No comments:

Post a Comment

Thanks

छाँव की तरह कोई था

कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...