Thursday 2 April 2015

तस्वीर

एक तेरी ही तस्वीर बनाता रहता हूं मैं

कि काश तेरी तस्वीर मूझसे कुछ कह जाये

तेरी तस्वीर को निहारता रहता हूं मै

कि काश तू भी मुझे देखकर मुस्करा दें

 

तेरी आंखों को  देखता रहता हूं मैं

कि काश उनमे नजर आ जाऊं

तेरे लबों को चूमता रहता हूं मैं

कि काश तेरी सांसों मे मेरा नाम आये

 

ये तेरी कशिश है या तेरा नूर है

तू मेरे पास होते हुए भी दूर है

ये कैसी कशमकश मे जी रहा हूं मैं

तू ना होते हुए भी तेरी तस्वीर बनाता रहा हूं मैं

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