एक बार कि बात
एक बार कि बात है ये
एक फूल पसंद आया था हमे
पसंद भी क्या पतझड़ भरे
मौसम में एक मासूम काली थी वो ,
उस कली को खिलाकर पाने चाहत कि हमने
मगर उस फूल पर एक भँवरा बैठा गया
और फूल भी उसी का हो गया
प्रेम ही असली चीज़ है, जहाँ मन का हर बीज है। कामनाओं से परे की धारा, जहाँ आत्मा ने खुद को पुकारा। जब स्पर्श हो बिना वासना की छाया, तो प्रेम ...
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