एक बार कि बात
एक बार कि बात है ये
एक फूल पसंद आया था हमे
पसंद भी क्या पतझड़ भरे
मौसम में एक मासूम काली थी वो ,
उस कली को खिलाकर पाने चाहत कि हमने
मगर उस फूल पर एक भँवरा बैठा गया
और फूल भी उसी का हो गया
अँधेरे में जब उम्मीदें मर जाएं, दुखों का पहाड़ जब मन को दबाए, तब एक दीप जले, जीवन में उजाला लाए, आशा की किरण जगमगाए। दीप जले तो जीवन खिले, खु...
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