एक बार कि बात
एक बार कि बात है ये
एक फूल पसंद आया था हमे
पसंद भी क्या पतझड़ भरे
मौसम में एक मासूम काली थी वो ,
उस कली को खिलाकर पाने चाहत कि हमने
मगर उस फूल पर एक भँवरा बैठा गया
और फूल भी उसी का हो गया
मैं, एक अणु, जो ब्रह्मांड में विचरता, ब्रह्मांड का अंश, जो मुझमें बसता। क्षितिज की गहराई में, तारे की चमक में, हर कण में, हर क्ष...
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