बरसात का मौसम लाया, मीठी-मीठी फुहार,
कभी ये मोहे मन को, कभी करे तकरार।
पर्वतों पर जब गिरी, मनो सजीले गीत,
समुद्र की लहरों संग, मिले अनगिनत मीत।
कभी ये खतरा बनती, बह जाएँ नगर और गाँव,
सावधान रहना चाहिए, प्रकृति का ये भाव।
कभी चाय की चुस्की में, कभी भीगी सड़कों पर,
ये रोमांटिक लम्हे दे, छुपे किसी छतरी के अंदर।
बारिश की बूंदों में, जीवन की अनगिनत तस्वीर,
मीठी भी है, खतरनाक भी, ये बारिश की तक़दीर।
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