भलाई के सहारे बुरे होते हैं लोग, यह सच्चाई है जो खोला।
मैंने देखा, जितना अच्छा करने की कोशिश की,
उतना ही बुराई की ओर बढ़ते गए कदम, ये था मेरा अनुभव, जो मैंने महसूस किया।
कभी कहा, "मैं झूठ बोल रहा हूं,"
और इसका कारण था, किसी का भला करना, यह सोचकर मन से हल्का हुआ।
अगर मैं सच बोलता, तो कोई नुकसान होता,
लेकिन झूठ बोलकर मैंने एक जीवन को बचाया, ऐसा ही मेरा भ्रम था, जो मैंने अपने दिल में लाया।
मैंने सोचा, "अगर मैं किसी को धोखा दे रहा हूं, तो क्या गलत है?"
जब उसका भला करने का कारण हो, तो मुझे क्यों महसूस हो कोई दोष?
क्या सच में यह बुरा है, जब तुम किसी को बचाने के लिए करते हो गलत कार्य?
क्या भलाई के नाम पर बुराई भी सही हो जाती है, या यह बस एक बहाना है, मेरी सोच का विचार?
मैंने कहा, "यह झूठ है, लेकिन यह प्यार के लिए है,"
जब तक उद्देश्य सही है, तब तक मैं क्यों न इसे सही समझूं, यही था मेरा सिद्धांत।
सत्य के मार्ग पर मैंने कदम रखा था, लेकिन कभी देखा नहीं,
कि मेरे झूठ ने और अधिक भ्रम को जन्म दिया, यह बात मैंने आखिरकार समझी।
फिर मैंने सोचा, क्या मैं सच में किसी को बचा रहा हूं,
या अपनी ही मानसिक स्थिति में फंसा हूं, जिससे मैं सच से दूर जा रहा हूं?
क्या भलाई के नाम पर बुराई को बढ़ावा देना सही है?
क्या प्रेम, सत्य और दान के नाम पर बुरा करना मंजूर है?
अंत में मुझे यह एहसास हुआ,
कि जब तक मैं झूठ को सच के लिए बोलता हूं, तब तक मुझे सत्य से दूर जाने का डर नहीं है।
लेकिन क्या सच में यह सही है, जब मेरी नीयत सही हो,
क्या बुराई को अच्छाई के नाम पर करने का तरीका मुझे सही ठहराता है?
आखिरकार, मैं समझा, हर बार जो गलत होता है,
भलाई का सहारा लेने से वह सही नहीं हो जाता, यह एक भ्रम है जो हर दिल में पलता है।
और जब तक हम सच्चाई से समझौता करते रहेंगे,
हमारी भलाई के नाम पर बुराई को बढ़ावा देते रहेंगे।
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