ध्यान कोई कर्म नहीं,
यह तो बस बहाव है,
जैसे प्रेम में डूबना,
यह जीवन का प्रवाह है।
शब्दों से परे,
सांसों का संगीत,
मौन का आलिंगन,
अंतरतम का मीत।
यह करना नहीं,
यह बस होने का जादू है,
जहां मैं मिट जाता हूं,
सिर्फ शून्य का वासू है।
समय जैसे ठहर जाए,
हृदय बन जाए झील,
हर तरंग में शांति का संदेश,
हर क्षण में अनमोल कस्तूरी की महक।
ध्यान का अनुभव,
न कोई सीमा, न कोई अंत,
बस सत्य का स्पर्श,
और आत्मा का अनंत।
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