व्यापार हो या व्यवहार


व्यापार हो या हो कोई व्यवहार,
सिर्फ उनसे रखो अपना सरोकार।
जिनकी जान से बड़ी हो जुबान,
जिनके शब्दों में हो ईमान का मान।

जहाँ वचन बने जीवन का आधार,
वहाँ न टूटे विश्वास का संसार।
जिनके लिए सत्य ही हो संबल,
उनसे ही जोड़ो रिश्तों का कंवल।

जिनकी बातें हों सौगंध सी पवित्र,
जिनकी नीयत सागर सी गहरी।
वही निभाएँ हर कठिनाई में साथ,
वही रहें जीवनभर सच्चे हमसफर।

व्यापार में हो न धोखे की दरार,
व्यवहार में हो न छल का व्यापार।
वचन के योद्धा बनो हर घड़ी,
जुबान की कीमत हो सदा अडिग बड़ी।

याद रखना, रिश्ते शब्दों से सजते हैं,
जुबान से नहीं, कर्मों से दिखते हैं।
इसलिए व्यापार हो या हो व्यवहार,
सचाई से रखो हर निर्णय का अधिकार।


No comments:

Post a Comment

Thanks

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...