सुडौल काया कोई आसान सफर नहीं,
यह पथ चुनौतियों से भरा, सरल कहीं।
हर मांसपेशी की गहराई में छिपी है कहानी,
धैर्य, साहस, और त्याग की अमिट निशानी।
नियमितता है इस यात्रा की पहली सीढ़ी,
हर दिन का समर्पण बनाता है इसे स्थायी।
आत्मसम्मान से जन्म लेती है यह चाह,
कि मैं बनूँ बेहतर, खुद से करूँ सच्चा निर्वाह।
साहस चाहिए हर बाधा से लड़ने का,
हर असफलता को ताकत में बदलने का।
दृढ़ निश्चय वह अग्नि है, जो कभी बुझती नहीं,
जो थकावट के बाद भी हार मानती नहीं।
अनुकूलन है सफलता की चाबी,
परिवर्तन को स्वीकारो, यह जीवन की साधी।
संघर्ष के हर पल में है एक नई सीख,
जो बनाती है मनुष्य को भीतर से अडिग।
विनम्रता, जो यह सिखाए कि हम अपूर्ण हैं,
हर कदम पर बेहतर बनने की चाह में लीन हैं।
पीड़ा वह साथी है जो सच्चाई दिखाए,
कि महानता संघर्ष के बिना कभी न आए।
स्वीकार्यता चाहिए अपने हर दोष की,
हर असफलता को नई शुरुआत की खोज की।
नए मापदंड बनते हैं इस सफर में,
जो तुम्हें परिभाषित करते हैं हर क्षण में।
और सबसे बड़ी बात— आशा का प्रकाश,
जो अंधकार में भी दिखाए सफलता का आकाश।
जब कोई तुम्हारी काया को देखता है,
वह देखता है यह सारी विशेषताएँ।
एक सुडौल शरीर सिर्फ मांस नहीं,
यह जीता-जागता प्रमाण है,
साहस, संघर्ष, और संकल्प का।
यह दर्शाता है कि तुमने खुद को पाया है,
और हर क़दम पर खुद को नवाया है।
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