नफरत से ऊपर उठो



नफरत की आग में जलना क्यों,
जब प्रेम का सागर बहाना भी है।
हर चिंगारी से दूर रहो,
अपने दिल को उजाला बनाना भी है।

जो नफरत करें, उन्हें क्षमा करो,
क्योंकि उनके दिल में अंधेरा भरा है।
तुम अपने प्रकाश से चमको,
जो सत्य और प्रेम से सजा है।

"विद्या ददाति विनयं,"
ज्ञान से विनम्रता का जन्म होता है।
और विनम्रता से प्रेम का वृक्ष पनपता है,
जो नफरत की जड़ों को उखाड़ देता है।

जो नीचे खींचें, तुम ऊपर उठो,
अपनी अच्छाई से हर दीवार को तोड़ो।
नफरत के बदले प्रेम दिखाओ,
और दुनिया को अपने संग जोड़ो।

आगे बढ़ो, नफरत से परे,
तुम्हारा मार्ग तुम्हारा है, ये तय करो।
क्योंकि जो नफरत से ऊपर उठता है,
वो ही सच्चे इंसान की परिभाषा लिखता है।


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