जो खुद को बचाने का हुनर न सीखें,
उनके लिए सहारा देना भी व्यर्थ है।
बचाव का बीज उनके भीतर ही हो,
वरना हर कोशिश ठहर जाती अर्थ है।
प्रयास करें, वो जगमगाएं,
जो चाहें, वो मंजिल पाएं।
सपने उनके, कर्म भी उनके,
नियति खुद उनके घर आए।
जो केवल सहारा खोजें,
और खुद कुछ न प्रयास करें।
उनके जीवन की डोर सदा,
निर्जीव राहों में ही थमे।
पर जो जूझें, लड़े, संभलें,
हर संकट का हल वे निकलें।
उनके संग खड़ा हो सकता,
जो अपना हर कर्तव्य संभलें।
जीवन वही जो जागे, लड़े,
अपनी किस्मत को खुद गढ़े।
न हो निष्क्रिय, न हो उदास,
अपनी मंजिल का ले एहसास।
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